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फोर लेन हाइवे विवादों में: इलेक्ट्रिक शिफ्टिंग के काम में अनियमितता का आरोप

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बुटीबोरी से तुलजापुर तक फोर लेन के राष्ट्रीय महामार्ग क्रमांक 361 में इलेक्ट्रिक पोल शिफ्टिंग के कामकाज में अनियमितता का आरोप लगाती जनहित याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में दायर की गई है। याचिकाकर्ता अजिंक्य पाटील के अनुसार, निजी ठेकेदारों की मदद से जारी यह कार्य बगैर निरीक्षण और खर्च का एस्टिमेट लगाए ही किया जा रहा है। इस जनहित याचिका में केंद्रीय भूतल परिवहन विभाग, राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), महावितरण और दिलीप बिल्डिकॉन लिमिटेड वर्धा और वर्धा टोलवेज प्राइवेट लिमिटेड को प्रतिवादी बनाया है।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से मामले में स्वतंत्र संस्था से जांच करा कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। मामले में याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर कोर्ट ने पहले उन्हें अपनी सत्यनिष्ठा साबित करने के लिए एक लाख की सुरक्षा राशि कोर्ट में जमा कराने को कहा है। इसके बाद ही कोर्ट प्रतिवादियों को नोटिस जारी करेगा। याचिकाकर्ता की ओर से एड.अनूप ढोरे कामकाज देख रहे हैं।
यह है मामला
याचिकाकर्ता के अनुसार, राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण की ओर से बुटीबोरी से तुलजापुर तक फोर लेन के राष्ट्रीय महामार्ग क्रमांक 361 का कामकाज शुरू किया गया है। इसमें दिलीप बिल्डिकॉन लिमिटेड वर्धा और वर्धा टोलवेज प्राईवेट लिमिटेड की मदद ली जा रही है। इन्हें बुटबोरी से महागांव रोड तक इलेक्ट्रिक पोल शिफ्टिंग का काम दिया गया है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि ये सिविल कांट्रैक्टर हैं और पोल शिफ्टिंग का काम इलेक्ट्रिकल कांट्रैक्टर को देना चाहिए। इन्होंने बगैर जरूरी प्रशासनिक अनुमति के यह कार्य शुरू कर दिया है।
29 सितंबर 2017 को दायर आरटीई के जवाब में याचिकाकर्ता काे पता चला कि इस कार्य के लिए महावितरण से एनएचएआई को एस्टिमेट मूल्य भी नहीं मिला। 23 दिसंबर 2017 को दिलीप बिल्डिकॉन लिमिटेड वर्कऑर्डर जारी हुआ था, मगर उन्होंने इसके काफी पहले कामकाज शुरू कर दिया था। याचिकाकर्ता का आरोप है कि इलेक्ट्रिक पोल शिफ्टिंग का यह काम बगैर निरीक्षण के पूरा किया जा रहा है। सीमेंट के पोल की जगह लोहे के पोल का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे न केवल जनता के पैसों का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि बगैर निरीक्षण के जारी इस कार्य से जान को भी धोखा है। इस संबंध में याचिकाकर्ता ने विविध प्रशासनिक स्तरों पर शिकायत की, मगर कोई हल नहीं निकला। इसके बाद हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका दायर की गई है।
Created On :   3 Sept 2018 1:46 PM IST