ताड़ोबा ऑनलाइन बुकिंग में हुई गड़बड़ी, अवैध रूप से वन क्षेत्र में वाहनों को एंट्री देने का आरोप

Fraud in the online booking of Tadoba, accused of giving illegally  entry to vehicles in the forest area
ताड़ोबा ऑनलाइन बुकिंग में हुई गड़बड़ी, अवैध रूप से वन क्षेत्र में वाहनों को एंट्री देने का आरोप
ताड़ोबा ऑनलाइन बुकिंग में हुई गड़बड़ी, अवैध रूप से वन क्षेत्र में वाहनों को एंट्री देने का आरोप

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ताड़ोबा-अंधेरी टाइगर रिजर्व (टीएटीआर) में नियमों का उल्लंघन कर जरूरत से ज्यादा जंगल सफारी होने का मुद्दा बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में दायर जनहित याचिका में उठाया गया है। इस मामले में  वन विभाग ने हाईकोर्ट में शपथ-पत्र दायर कर स्वीकार किया कि 1 अक्टूबर 2017 से 31 मार्च 2018 के बीच ताड़ोबा सफारी ऑनलाइन बुकिंग में भारी गड़बड़ी हुई। कुछ लोग फर्जी बुकिंग करके एंट्री की कालाबाजारी कर रहे थे। वन विभाग की एक समिति इसकी रोकथाम के लिए काम कर रही है, लेकिन उन्होंने नियम से ज्यादा सफारी की बात से इनकार किया है।

वन विभाग ने हाईकोर्ट को बताया है कि बीते एक वर्ष में उन्होंने कुल 16 हजार 772 वाहनों को सफारी की अनुमति दी याचिकाकर्ता ने वीआईपी कोटा के नाम पर अतिरिक्त वाहनों को अनुमति का मुद्दा उठाया। वन विभाग ने बताया कि उन्हें सफारी के लिए वीआईपी कोटा भी रखना पड़ता है। समय समय पर मंत्री, अधिकारी और अन्य वीआईपी को इस कोटे से सफारी की अनुमति दी जाती है। हाईकोर्ट ने वन विभाग को यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि वे वीआईपी कोटा और इसकी पात्रता किस आधार पर निर्धारित करते हैं और अब तक उन्होंने ताड़ोबा में कितने वीआईपी को एंट्री दी है। वन विभाग को एक सप्ताह में उत्तर प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं।

यह है मामला
याचिकाकर्ता का दावा है कि वन विभाग नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करके जरूरत से ज्यादा वाहन सफारी के लिए जंगल में छोड़ रहा है। इससे वन्य प्राणियों को नुकसान हो रहा है। एनटीसीए ने निर्देशों के तहत यह तय है कि कितनी अवधि के लिए कितने वाहन सफारी के उद्देश्य से वन परिक्षेत्र में दाखिल होंगे। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि दिसंबर 2015 के बीच 64 दिनों में कुल 904 अतिरिक्त वाहन अवैध रूप से वन क्षेत्र में दाखिल होने दिए। याचिकाकर्ता का यह भी दावा है कि उन्होंने एनटीसीए को इस मामले से अवगत कराया था, मगर एनटीसीए ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से एड. तुषार मंडलेकर ने पक्ष रखा। 

Created On :   28 Jun 2018 9:18 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story