बैंक खातों से उड़ाए 38.70 लाख, सिमकार्ड का क्लोन बनाकर चपत लगाई, लौटानी होगी रकम

Fraudster frauds 38 lac from bank account by cloning the sim card
बैंक खातों से उड़ाए 38.70 लाख, सिमकार्ड का क्लोन बनाकर चपत लगाई, लौटानी होगी रकम
बैंक खातों से उड़ाए 38.70 लाख, सिमकार्ड का क्लोन बनाकर चपत लगाई, लौटानी होगी रकम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दो उपभोक्ताओं के सिमकार्ड का क्लोन बनाकर आरोपियों ने उनके बैंक खाते से कुल 38 लाख 70 हजार रुपए उड़ा लिए। इस मामले में राज्य सूचना तथा तकनीकी सचिव ने आईडिया कंपनी को उक्त रकम दोनों उपभोक्ताओं को लौटाने का आदेश दिया है। 

जानकारी के अनुसार, राजकुमार सिंघी के मोबाइल सिम कार्ड का क्लोन बनाकर उनके गोंदिया स्थित सारस्वत बैंक, यूनियन बैंक और पंजाब नेशनल बैंक खाते से 26 लाख 70 हजार रुपए उड़ा लिए गए। इसी प्रकार एक अन्य प्रकरण में भी सिमकार्ड का क्लोन तैयार कर सहारे नंदकिशाेर गवारकर के वर्धा मार्ग स्थित सारस्वत बैंक खाते से भी 12 लाख रुपए उड़ाए गए। दोनों के बैंक खातों से उड़ाई गई रकम कोलकाता की आईएनजी वैश्य बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक लि. सुब्रता व्यास बैंक, रतनदास सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, और एस. के. अजीजुल एचडीएफसी बैंक में जमा हुए। इसके बाद आरोपी ने दूसरे दिन जमा रकम विड्रॉल कर ली।

हाईकोर्ट ने दिएरकम लौटाने के आदेश
सिंघी ने तहसील पुलिस स्टेशन और गवारकर ने धंतोली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने खाते से रकम उड़ाए जाने के सबूत भी दिए, लेकिन पुलिस आरोपी तक नहीं पहुंच पाई। आखिरकार उन्होंने राज्य सूचना व तकनीकी सचिव के पास दीवानी अर्जी दायर की। वहां से भी 6 महीने तक कोई आदेश नहीं दिए गए, जबकि नियम के अनुसार 6 महीने में निर्णय देना अपेक्षित था। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर बेंच में शरण ली। हाईकोर्ट ने सचिव को जल्द से जल्द प्रकरण का निपटारा करने के आदेश दिए। हाईकोर्ट के आदेश पर सचिव ने आईडिया कंपनी से दोनों उपभोक्ताओं के बैंक खाते से उड़ाई गई रकम उन्हें लौटाने के आदेश दिए। एड. महेंद्र लिमये ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखा। 

शिकायत के बाद न  बैठें कभी खामोश
किसी भी प्रकार की ठगी होने पर पुलिस थाने में शिकायत करनी चाहिए। पुलिस यदि कोई कार्रवाई नहीं करती है, तो भी खामोश नहीं बैठना चाहिए। दीवानी तथा फौजदारी प्रकरण दायर किया जा सकता है। इस प्रकरण में सूचना तथा तकनीकी सचिव का दरवाजा खटखटाने पर न्याय मिला है। आमतौर पर इस प्रकार के प्रकरणों में जांच की गति धीमी रहती है। मोबाइल कंंपनियों के दस्तावेजों की सूक्ष्म जांच की जाती है। इसमें काफी समय चला जाता है। एड. लिमये ने कहा कि न्याय पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी रखनी चाहिए। पत्र परिषद में राजकुमार सिंघी, नंदकिशोर गवारकर उपस्थित थे।
 

Created On :   22 Aug 2018 12:21 PM IST

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