तामिया के पर्यटन डेवलपमेंट पर फंड का अड़ंगा, न पैसा मिला न फाइल आगे बढ़ी

Funding problem on tourism development of Tamia,no money received
तामिया के पर्यटन डेवलपमेंट पर फंड का अड़ंगा, न पैसा मिला न फाइल आगे बढ़ी
तामिया के पर्यटन डेवलपमेंट पर फंड का अड़ंगा, न पैसा मिला न फाइल आगे बढ़ी

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। चुनावी वर्ष में तामिया में रहने वाले आदिवासी अचानक ही खास हो गए हैं। हर दल की नजर यहां है। सभी विकास की बात कर रहे हैं, लेकिन दूसरा पहलू ये है कि सतपुड़ा की हरी-भरी वादियों में बसे तामिया को टूरिस्ट स्पॉट बनाने के सरकारी प्रयास सिर्फ फाइलों में रेंग रहे हैं। छह महीने पहले ईको टूरिज्म डिपार्टमेंट से यहां के पर्यटन क्षेत्रों को विकसित करने के लिए 80 लाख की डिमांड वन विभाग ने पहुंचाई थी, लेकिन ये राशि आज तक जिले को नहीं मिली है। जबकि कहा जा रहा था कि दो महीने में फंड रिलीज कर यहां के पर्यटन क्षेत्रों में छोटे-छोटे काम कराएं जाएंगे। अब मामला कहां अटका हुआ है ये न तो अधिकारियों को खबर है न ही जनप्रतिनिधियों को।

ये होना था 80 लाख में
सनसेट पाइंट :  तामिया रेस्ट हाऊस के सनसेट पाइंट को डेवलप किया जाना था ताकि पचमढ़ी की जगह यहां भी पर्यटकों की आवाजाही तेज हो सके।
बड़ा महादेव   :  बड़ा महादेव का झरना आज भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इसे पचमढ़ी के ब्लू फॉल के तरह डेवलप करना था।
चिमटीपुर       :  चिमटीपुर में सबसे ज्यादा पर्यटक पहुंचते हैं। यहां भी पर्यटकों के लिए छोटी-छोटी सुविधाएं विकसित की जानी थी।

एक प्रयास, वह भी फैल
तामिया को टूरिस्ट स्पॉट बनाने के लिए एडवेंचर स्पोट्र्स के रूप में एक प्रयास हुआ था, लेकिन वो भी फेल हो गया। अधिकारियों के फेरबदल के बाद पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
एडवेंचर स्पोट्र्स: हर साल यहां एडवेंचर स्पोट्र्स के आयोजन की रूपरेखा तैयार की गई थी। शुरुआत में भव्य कार्यक्रम भी हुए लेकिन बाद में ये सिर्फ खानापूर्ति तक सिमट गई। बाद में फंड की कमी कार्यक्रम में बड़ा रोड़ा साबित हुई।

यह उद्देश्य था
उद्देश्य था कि यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पाया। साल में होने वाला ये आयोजन अधिकारियों के सैर-सपाटे तक सिमट गया।

एक मोटल खोली, उसे भी किराए से चलाने की नौबत
तामिया में पर्यटकों के नहीं आने का सबसे बड़ा कारण यहां रुकने की व्यवस्था न होना है। मप्र.पर्यटन विकास निगम द्वारा जो मोटल बनाई गई थी। उसे भी किराए से चलाने की नौबत आ गई। लगातार घाटे में चल रही इस मोटल को 30 लाख की लीज पर हास्पीटेलिटी एसेंशियल कंपनी को दे दिया गया। चौकाने वाली बात ये है कि इस मोटल से 3 लाख रुपए मासिक तो आता ही था, लेकिन अब महज 50 हजार रुपए मासिक किराए पर इसे दे दिया गया है।|

वजह क्या थी
मोटल का अधिक किराया यहां आने वाले पर्यटकों के लिए सबसे बड़ी दिक्कत था। सुविधाएं कम, लेकिन किराया प्रदेश के बाकी टूरिस्ट स्पॉट की तरह वसूला जा रहा था। जिस वजह से भी पर्यटक यहां रुकने की बजाय जिला मुख्यालय की होटलों में रुकना ज्यादा पसंद कर रहे थे।

इन क्षेत्रों के लिए भी मांगा था फंड नहीं मिला तबज्जों
कभी छिंदवाड़ा के संगठन प्रभारी रहे तपन भौमिक के पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष बनने के बाद आस थी कि पर्यटन क्षेत्रों के विकास के लिए पर्याप्त फंड दिया जाएगा, लेकिन सालों बीतने के बाद भी जिले को तबज्जों नहीं दी गई। जिल्हेरी घाट के डेवलपमेंट के लिए भी 33 लाख के फंड की डिमांड की गई थी। इस फंड से यहां पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाना था, लेकिन तामिया की तरह ये प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में हैं। जुन्नारदेव के पास बड़ा महादेव तक पहुंचने वाले मार्ग में सीढिय़ा और अन्य सुविधाओं के लिए 40 लाख के फंड मांगा गया था लेकिन ये भी आज तक नहीं मिला है।

 

Created On :   3 July 2018 8:02 AM GMT

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