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गड़चिरोली में प्यार का प्रतीक है 'टीपागढ़ का किला' जानिए खासियत

डिजिटल डेस्क,गड़चिरोली। प्यार की निशानी की बात आती है तो आगरा का ताजमहल याद आता है,लेकिन अति पिछड़े गड़चिरोली में भी एक प्यार की निशानी है। वो है टीपागढ़ का किला। इस किले को गोंड राजा ने अपनी पत्नी के लिए बनाया था। इसके बाद राजा ने भी यही जलसमाधि ले ली थी।
गौरतलब है कि सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच टीपागढ़ किला बसा हुआ है। गड़चिरोली से धानोरा होते हुए मुरूमागांव की दूरी करीब 95 किमी है। यहां से केवल 10 किमी दूरी पर टीपागढ़ गांव बसा हुआ है। कोरची तहसील में यह किला गोंड राजा पुरमशाह ने बनाया था। अपनी पत्नी के लिए उन्होंने 2 हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर टीपागढ़ नामक किले का निर्माण कराया। पहाड़ी पर इस किले की सुरक्षा के लिए चारों ओर सुरक्षा दीवार भी बनाई गई है। यह पहाड़ी पूर्व-पश्चिम और उत्तर-दक्षिण मिलाकर कुल 1066 यार्ड में फैली हुई है। इसी किले के बीचों-बीच प्राचीन काल से एक तालाब आज भी अपनी कहानी बयां कर रहा है। रानी की मृत्यु के बाद राजा ने भी इसी तालाब में जलसमाधि ली थी। राजा पुरमशाह के पास 5 हाथी, 250 घोड़ों समेत 200 से अधिक शस्त्रधारी सिपाहियों की फौज थी।
नहीं सूखा तालाब
राजा के इस तालाब में समाधि लेने के बाद से यह तालाब नहीं सूखा है। चाहे कितनी भी गर्मी हो, सूखा पड़े, इस तालाब में हमेशा पानी रहता है। क्षेत्र के कुछ आदिवासियों का मानना है कि इसी तालाब से एक नदी का निर्माण भी हुआ है। इसे आज टीपागढ़ नदी से भी पहचाना जाता है। यह किला पूरी तरह पत्थरों से बना है। कई सुरंगें भी बनाई गई है। तालाब के दक्षिण तट पर एक बालकिला भी तैयार किया गया था।
जिले में पुरातत्व विभाग ने ऐतिहासिक मार्कंड़ा देवस्थान समेत भंडारेश्वर मंदिर, वैरागढ़ किले व अन्य धरोहरों को संजोने का प्रयास किया है। केंद्र सरकार ने इस कार्य के लिए करोड़ों रुपए की निधि का प्रावधान भी किया है। धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण वीर राजा पुरमशाह आदिवासी थे। उन्होंने आदिवासियों के हक के लिए कई कार्य किए। उन्होंने अपने जमाने में किले पर एक मंदिर का निर्माणकार्य किया था, जो आज भी वैसे ही खड़ा है। हर साल महाशिवरात्रि और अन्य त्यौहारों के दौरान आदिवासी यहां पहुंचकर माता मंदिर में माथा टेकते हैं।
हर मुराद होती है पूरी
आदिवासियों का मानना हैं कि माता मंदिर में सारी मुरादें मंजूर होती है। त्योहारों पर यहां बलि देने की प्रथा आज भी बरकरार है। पराक्रमी थे गोंड राजा पुरमशाह आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले राजा पुरमशाह अपने जमाने में एक वीर योद्धा रहे हैं। उनके समक्ष किसी राज्य की सेना नहीं टिक पाती थी। आरमोरी तहसील के वैरागढ़ किले के राजा बाबाजी बल्लाडशाह के वे काफी निकटवर्ती माने जाते। वैरागढ़ किला जीतने के बाद परगना बाबाजी बल्लाड़शाह ने पुरमशाह को अपना किला सौंप दिया था। पुरमशाह राजा ने अपने राज्य से सटे छत्तीसगढ़ प्रदेश के अनेक हिस्सों को जीतकर कीर्तिमान स्थापित किया था।
Created On :   7 Aug 2017 12:02 PM IST