Nagpur News: पुरानी पाइप लाइन और अवैध कनेक्शन बने बाधा, राजनीतिक दबाव के कारण टैक्स वसूली नहीं

पुरानी पाइप लाइन और अवैध कनेक्शन बने बाधा, राजनीतिक दबाव के कारण टैक्स वसूली नहीं
  • दस्तावेजों पर निगरानी और ट्रैकिंग के दावे
  • आशी नगर जोन में सर्वाधिक बर्बादी

Nagpur News. महानगरपालिका के जलप्रदाय विभाग से शहर में 24 बाय 7 जलापूर्ति का दावा किया गया था। बेहतर संसाधन, नई तकनीक और बेहतर निगरानी के साथ जलापूर्ति व्यवस्था कराने की घोषणा हुई थी। ओसीडब्ल्यू को सौंपने के समय 24 बाय 7 जलापूर्ति और आर्थिक घाटे को कम करने का दावा किया गया था। किन्तु पिछले 13 सालों में प्रति दस लीटर में से चार लीटर पानी की बर्बादी, पुरानी पाइपलाइन, बगैर मीटर वाले झोपड़पट्‌टी में अवैध कनेक्शन के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा राजनीतिक दबाव ने पूरी योजना का बंदरबांट कर दिया है। फलस्वरूप अनेक जगहों पर कार्रवाई और वसूली नहीं हो पा रही। जिस कारण पानी की बर्बादी और असमान वितरण के कारण नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता : महानगरपालिका का जलप्रदाय विभाग 730 मिलियन लीटर प्रतिदिन पानी लेता है। इसमें से कन्हान नदी से 220 एमएलडी और पेंच बांध से 510 एमएलडी का समावेश है, लेकिन इसमें से प्रति दिन करीब 39 फीसदी पानी बर्बाद हो रहा है। करीब 280 एमएलडी पानी के लीकेज, चोरी में चले जाने से संसाधनों की बर्बादी हो रही है। 19 अप्रैल को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की समीक्षा बैठक में मनपा के जलप्रदाय विभाग से प्रस्तुत आंकड़ों ने चिंता को बढ़ा दी है।

आशी नगर जोन में सर्वाधिक बर्बादी : जलसंपदा विभाग समेत केन्द्र सरकार से मनपा को जलहानि को कम करने के लिए उपाययोजना करने के निर्देश दिए गए हैं। शहर में सर्वाधिक पानी की बर्बादी आशी नगर जोन में हो रही है। इस जोन में प्रतिदिन 83.79 एमएलडी आपूर्ति के लिए दिया जाता है, जिसमें से 57.19 फीसदी बगैर राजस्व के बर्बाद हो जाता है। वहीं धरमपेठ जोन में सबसे कम 22 फीसदी पानी बर्बाद हो रहा है।

जलापूर्ति में असंतुलन : शहर के लक्ष्मीनगर जोन अंतर्गत देव नगर और कामगार कॉलोनी में केवल 2 से 3 घंटे, त्रिमूर्ति नगर, धरमपेठ के झोपड़पट्‌टी इलाके में भी 2 से 4 घंटे जलापूर्ति हाे रही है, वहीं हनुमान नगर में अधिकांश इलाकों में 20 घंटे पानी मिलता है। रानवाड़ी, साकेत नगर के साथ नेहरू नगर और धंतोली जोन की झोपड़पट्टी गांधीबाग, सतरंजीपुरा और लकड़गंज के भीड़ वाले इलाकों में प्रतिदिन 1 से 3 घंटे जलापूर्ति हो रही है। शहर में लीकेज दुरूस्ती, पाइपलाइन क्षतिग्रस्त की दुरुस्ती के नाम पर आए दिन जलापूर्ति बंद रखी जाती है।

दस्तावेजों पर निगरानी और ट्रैकिंग के दावे

लंबे समय से नागरिक और अनेक संगठन इसकी त्रिपक्षीय मूल्यांकन (थर्ड पार्टी ऑडिट) की मांग कर रहे हैं। ओसीडब्ल्यू की ओर से स्मार्ट मीटर, लगातार निगरानी और जीआईएस-आधारित ट्रैकिंग के दावे होते रहे। पिछले 13 सालों में करोड़ों रुपए के खर्च के बाद भी 24 बाय 7 जलापूर्ति योजना कागजों पर सिमट कर रह गई। शहर में जलकुंभ का पूरी तरह से निर्माण कार्य और जलापूर्ति पाइपलाइन की मजबूती अब भी नहीं हो पाई है।

Created On :   4 May 2025 7:04 PM IST

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