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गडकरी की सलाह - आत्मनिर्भर बनें आदिवासी, जानिए- पीओके पर आंबेडकर ने क्या कहा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आदिवासी समाज विकास के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं का जिक्र करते हुए केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी ने समाज से आत्मनिर्भर होने का आव्हान किया है। उद्यमशीलता स्वीकारने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि समाज विकास के लक्ष्य को पाने के लिए अंधश्रद्धा से दूर, राष्ट्रीय विषयों की जानकारी रखनेवाले उद्यमीशील युवा तैयार करने की आवश्यकता है। शुक्रवार को आदिवासी दिन पर सुरेश भट सभागृह रेशमबाग में आयोजित कार्यक्रम में गडकरी बोल रहे थे। मंच पर आदिवासी विकास मंत्री डॉ.अशोक उईके, राज्यमंत्री डॉ. परिणय फुके, आदिवासी विकास मंत्रालय की प्रधान सचिव मनीषा वर्मा, महापौर नंदा जिचकार, नाशिक के आदिवासी विकास आयुक्त डॉ.किरण कुलकर्णी, आदिवासी विकास के अपर आयुक्त डॉ.संदीप राठोड मंच पर उपस्थित थे। गडकरी ने कहा कि जिलों के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 115 जिलों का चयन किया है। इन जिलों के विकास के लिए केंद्र व राज्य सरकार काम करेगी। समाज की परिस्थिति बदलने के लिए सभी स्तर पर अवसर उपलब्ब्ध कराए जा रहे हैं। परिस्थिति बदलने के लिए सभी को सामने आना होगा। डाक्टर, इंजीनियर, वकील व अन्य िवषयों के विशेषज्ञ समाज में तैयार करने की आवश्यकता है। आर्थिक विकास की समस्या हल होने पर राेजगार के अवसर बढ़ेंगे। गडकरी ने कहा कि विदर्भ के पांच जिले तनस मुक्त होंगे। इथेनाल के लिए बाल, कचरा व बांस के बाद तनस अर्थात धान के तने का इस्तेमाल होगा। तनसमुक्ता जिलों के साथ ही पेट्रोल उद्योग को गति दी जाएगी। उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। केवल एक जिले में 5 हजार रोजगार उपलब्ध होंगे।
अपने एजेंडे के लिए पीओके को पाकिस्तान के लिए छोड़ा- आंबेडकर
जम्मू कश्मीर में धारा 370 रद्द करने के मामले में केंद्र सरकार की भूमिका पर संदेह व्यक्त करते हुए वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने कहा है कि संसद में रखे गए विधयेक से कई आशंकाएं सामने आ रही है। लग रहा है कि सरकार ने अपना एजेंडा पूरा करने के लिए पीओके अर्थात पाक अधिकृत कश्मीर को पाकिस्तान के लिए छोड़ दिया है। नियंत्रण रेखा को लेकर भी ताजा स्थिति का खुलासा करने की मांग उन्होंने की है। शुक्रवार को रविभवन में पत्रकार वार्ता में आंबेडकर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के संविधान के अनुसार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लिए भी विधानसभा की सीट आरक्षित रखी जाती थी। उम्मीद थी कि कभी न कभी पीओके भारत में पूरी तरह से शामिल होगा। उससे देश का संबंध था। केंद्र सरकार ने धारा 370 रद्द करके पीओके से भारत का संबंध समाप्त करने का काम किया है। इस संबंध में गृहमंत्री अमित शाह ने भी संसद में अपनी भूमिका साफ नहीं की है। इससे यही लगता है कि पीओके से संबंध समाप्त हो गया है। श्री आंबेडकर ने कहा कि जम्मू कश्मीर को लेकर शुुरुआत से ही विवादित स्थिति रही है। उसके लिए कई बार लड़ाई लड़ी गई है। पीओके और जम्मू कश्मीर के बीच एक नियंत्रण सीमा रेखा है। शिमला करार और उससे पहले के करार के अनुसार नियंत्रण रेखा सीमा रेखा नहीं मानी जाती थी। धारा 370 रद्द होने से नियंत्रण रेखा व जमीन का प्रश्न निर्मित हुए है। सरकार ने खुलासा करना चाहिए कि नियंत्रण रेखा अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण सीमा रेखा तय ताे नहीं की गई है। नियंत्रण रेखा, अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा होने की चर्चा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है। इस संबंध में वास्तवितकता का खुलासा सरकार ने करना चाहिए। धारा 370 को रद्द करने से आसाम, नागालैंड, मिजोरम, मेघालय के साथ अनेक राज्यों को दिया गया विशेष दर्जा समाप्त हो जाएगा। मराठवाड़ा व विदर्भ को दिया गया विशेष दर्जा भी समाप्त हो जाएगा। पूर्वोत्तर के राज्यों में विरोध को चीन का समर्थन मिला है। एक प्रश्न हल करने के लिए सरकार ने अनेक प्रश्नों को जन्म देने का काम किया है। अमरिका अफगानिस्तान से दूर होने की तैयारी में है। उसकी सुरक्षा पर हाेनेवाले खर्च की बचत करना है। अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रंप ने पहले ही इस संबंध में संकेत दिया है। ऐसे में यह भी सवाल उठने लगता है कि कहीं सरकार अमेरिका के इशारे पर जम्मू कश्मीर का विभाजन तो नहीं कर गई। जम्मू कश्मीर में लिए गए निर्णय से भूमाफियाओं को लाभ मिलनेवाला है। डॉ.बाबासाहब आंबेडकर ने धारा 370 को विरोध किया था, लेकिन उस समय स्थिति अलग थी। अब स्थिति बदली है।
Created On :   10 Aug 2019 9:00 AM GMT