उपराजधानी में क्लब की आड़ में लगते हैं दांव, ‘थाना बांधने’ से बच जाते हैं कार्रवाई से

Gambling is played under the guise of the club in the Nagpur
उपराजधानी में क्लब की आड़ में लगते हैं दांव, ‘थाना बांधने’ से बच जाते हैं कार्रवाई से
उपराजधानी में क्लब की आड़ में लगते हैं दांव, ‘थाना बांधने’ से बच जाते हैं कार्रवाई से

डिजिटल डेस्क,नागपुर। उपराजधानी में कई जगह क्लब की आड़ में लाखों के दांव लग रहे हैं। पुलिस की धर-पकड़ के बाद भी  जुए का यह खेल कम नहीं हाे रहा है। आए दिन जुआरी पकड़े जा रहे हैं। कुछ अड्डे कुछ समय के लिए बंद भी होते हैं पर नए अड्डे खुलने में देर नहीं लगती है। इस मामले में  कुछ क्षेत्रों की पड़ताल करने पर चाैंकाने वाले तथ्य सामने आए। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कई अड्डों से कुछ पुलिसकर्मियों की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष साठ-गांठ है।

अड्डा चलाने के लिए थानों से जुगाड़ लगाना पड़ता है, इसे जुआरियों के शब्दों में ‘थाना बांधना’ भी कहा जाता है। थाना बांधने के खेल में जब कभी रुपयों का गणित बिगड़ जाता है या पुलिस उपायुक्त अथवा अपराध शाखा के दस्तों तक बात पहुंचती है तब कार्रवाई होने लगती है। अन्यथा जुआ सट्टा सामान्य तौर पर चलते रहता है। 

यहां है ‘पुलिस का अड्डा’ 
संतरा मार्केट परिसर में इन दिनों एक जुआ अड्डा ‘पुलिस का अड्डा’ के नाम से चर्चा में है। इस जुआ अड्डा पर क्रिकेट सट्टा में लिप्त बड़े खिलाड़ी भी आते रहते हैं। इस जुआ अड्डा को मेजर का अड्डा भी कहा जाता है। धार्मिक स्थल से लगे एक क्लब के बारे में भी शिकायतें बढ़ रही हैं, लेकिन पुलिस की कार्रवाई नहीं हो रही है। गौरतलब है कि गणेशपेठ थाना के अंतर्गत इसी परिसर में कुछ दिनों पहले एक रमी क्लब पर छापेमारी की गई। राजू, शब्बीर का वह क्लब बंद होते ही परिसर के अन्य क्लब में भीड़ बढ़ गई है। शहर में बड़े होटलों में जुआ का आयोजन करानेवाले दक्षिण नागपुर के अन्ना को खेल चल ही रहा है।

इतवारी में बावाजी के अड्डे पर कुछ दिन पहले छापेमारी की गई। वहां भी पुलिस का आना जाना लगा रहता है। छाेटा ताजबाग में मनोज के अड्डे पर छापेमारी के बाद और भी नए अड्डे खुल गए हैं। पांचपावली पुलिस थाना क्षेत्र में करीब 18 अड्डे चलने की खबर है। यहां एक नगरसेवक जुआ अड्डों पर सबसे अधिक चर्चा में रहता है। इंदोरा क्षेत्र में करवाड़े का नाम सबसे अधिक चर्चा में है। 

क्लबों में नियमों का उल्लंघन 
खेल व मनोरंजन के नाम पर क्लब की अनुमति लेकर कुछ स्थानों पर सरेआम जुआ अड्डा चलने लगता है। पुलिस की कार्रवाई होने पर कई बार इन अड्डों के संचालक न्यायालय तक पहुंच जाते हैं। न्यायालय से पुलिस की कार्रवाई के विरोध में भी आदेश ले आते हैं। हाल ही में एक पूर्व महापौर के क्लब पर पुलिस ने छापेमारी की थी। पूर्व महापौर ने पुलिस कार्रवाई को चुनौती दी है। इससे पहले भी वह न्यायालय की शरण लेकर पुलिस कार्रवाई के विरोध में आदेश लाने में सफल रहा है।

गणेशपेठ के क्लब में छापेमारी का मामला भी न्यायालय पहुंचा है। क्लब संचालकों की ओर से आरोप लगाया गया है कि पुलिस ने वाहनों से रुपए निकालकर जुए की जब्ती दर्शाने का गैर-कानूनी काम किया। इस मामले में सीसीटीवी फुटेज भी जारी किए गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार, शहर में मनोरंजन के नाम पर करीब दर्जन भर क्लब चल रहे हैं। इनमें सबसे अधिक पांचपावली क्षेत्र में 7 क्लब है। गणेशपेठ 2, अजनी 2, शांतिनगर 1, जरीपटका 1 व सक्करदरा क्षेत्र में 2 क्लब हैं। 

क्या होता है क्लबों में  
महाराष्ट्र में 1970 तक चैरिटेबल ट्रस्ट की अनुमति से क्लब चलते रहे हैं। इन क्लबों में कैरम, चेस, इंडोर खेलकूद के अलावा अन्य मनोरंजक खेलों के साथ रमी व ब्रिज खेलने की अनुमति दी जाती रही है। महाराष्ट्र प्रिवेंशन ऑफ गैंबलिंग एक्ट 1887 की धारा 4 व 5 के तहत यह अनुमति दी जाती है। 1970 के बाद रमी व ब्रिज खेल की अनुमति पर भी पाबंदी लगती रही है। उच्च व उच्चतम न्यायालय तक मामले पहुंचते रहे हैं। इस बीच उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा कि क्लब में खेले जानेवाला रमी या ब्रिज गैंबलिंग नहीं, बल्कि स्किल्ड गेम है। लिहाजा शर्तों के अाधार पर क्लबों में रमी खेलने की अनुमति मिलती रही। न्यायालय ने निर्णय में कहा है कि रमी के खेल में भी टेबल पर रुपयों का लेन-देन नहीं किया जा सकता है।  

अलग वास्तविकता 
विविध निर्देशों का पालन करने के नाम पर क्लब संचालक रमी खेले जानेवाले कक्ष में सीसीटीवी कैमरे लगा लेते हैं। दर्शाया जाता है कि रुपयों का लेन-देन नहीं होता है, लेकिन वास्तविकता अलग रहती है। 

रुपए की जगह प्लास्टिक क्वाइन 
दरअसल, रमी कक्ष में रुपयों की जगह प्लास्टिक क्वाइन का लेन-देन होता है। क्वाइन से ही तय होता है कि कौन सा खिलाड़ी कितना रूपए हारा या जीता। नगद रूपए अन्य कमरे या दुकान में रखे जाते हैं। रमी कक्ष में पेटीवाला के नाम से एक सहायक रहता है, वह रुपयों के लेनदेन की जिम्मेदारी संभालता है। क्लब में निर्धारित सदस्य ही रमी खेल सकते हैं। गेस्ट के तौर पर कोई शामिल हो तो उसका भी नाम पता दर्ज किया जाना चाहिए। कम से कम आधार कार्ड अनिवार्य है, लेकिन ज्यादातर क्लबों में ऐसा नहीं होता है। 

बड़ी नाल यानी गिफ्ट 
अपराधी किस्म के गेस्ट खिलाड़ी बड़ी नाल अर्थात जीत का तोहफा देते रहते हैं। क्लब के लिए किचन की अलग से परमिशन लेना आवश्यक है। यहां फूड एंड ड्रग्स विभाग की भी भूमिका होती है, लेकिन जुआ से जुड़े क्लबों के किचन में केवल शराबखाने रहते हैं। 

बावन पत्ती 
इक्कावन व बावन पत्ती के जुआ खेल के अड्डों की वास्तवितकता तो और भी चौंकानेवाली है। 3-4 दिनों में ही स्थान बदल दिए जाते हैं। फार्महाऊस या फ्लैट में जुए के साथ शराब शबाब का खेल चलता रहता है। 

Created On :   23 April 2018 8:39 AM GMT

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