'गाड़ी वाला आया, घर से कचरा निकाल', शुभारंभ से ही सफाई की कछुआ चाल

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'गाड़ी वाला आया, घर से कचरा निकाल', शुभारंभ से ही सफाई की कछुआ चाल
'गाड़ी वाला आया, घर से कचरा निकाल', शुभारंभ से ही सफाई की कछुआ चाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में कचरा संकलन की नई व्यवस्था की गई है। बरसों से चली आई पद्धति में कुछ बदलाव कर अब घर-घर से कचरा संकलन का दावा किया गया है। गाड़ी पर लाउड स्पिकर रहेगा, जिसमें धुन बजेगी "गाड़ी वाला आया, घर से कचरा निकाल।' नागरिकों को घर में ही गीला व सूखा कचरा वर्गीकृत कर स्वच्छता दूत को देना होगा। जो वर्गीकृत कचरा नहीं देगा, उसका कचरा संकलन नहीं करने के स्वच्छता दूतों को निर्देश भी दिए गए। मनपा प्रशासन के इरादों को नई एजेंसियों ने पहले ही दिन मटियामेट कर दिया। शहर की अनेक बस्तियों में पिछले 3 दिन से न कचरा गाड़ी आई और न धुन सुनाई दी।शहरभर से कचरा संकलन करने दो नई एजेंसियों को ठेका दिया गया है। दोनों एजेंसियों को पांच-पांच जोन की जिम्मेदारी दी गई है।

15 नवंबर को नई एजेंसियों के कचरा संकलन का शुभारंभ किया गया। नई पद्धति में पूरी तरह मोटर वाहन का उपयोग करने की व्यवस्था की गई है। साइकिल वाहन का उपयोग उसी जगह इस्तेमाल करने की छूट दी गई है, जहां मोटर वाहन नहीं ले जाए जा सकते। घर-घर से संकलित कचरा छोटे वाहन से सीधे बड़े वाहन में डालकर प्रक्रिया केंद्र ले जाने की व्यवस्था है। पुरानी पद्धति में बस्ती का कचरा जमा करने के लिए शहर में 170 संकलन केंद्र बनाए गए थे। नई पद्धति में 25 ट्रांसफर यूनिट की व्यवस्था है, याने बस्ती में कही भी खुले में कचरा नहीं देखेगा, इस तरह का एजेंसियों के साथ करार किया गया है। खुले में कचरा डालना सख्त मना किया गया है। नियम का उल्लंघन करने वालों से जुर्माना वसूल करने की चेतावनी दी गई है।

पसोपेश में नागरिक
मनपा की चेतावनी से नागरिक खुले में कचरा डालने के िलए कतरा रहे हैं। बस्ती में गाड़ी नहीं पहुंचने से घरों में कचरा बढ़ रहा है। इसका निपटारा कैसे करे, यह समस्या सामने खड़ी है। नागरिक पसोपेश में है, कि समस्या से निपटने के िलए कौनसा रास्ता अपनाया जाए।

कैसे होगा वर्गीकृत संकलन
एक सवाल यह भी है कि गीला व सूखा कचरा संकलन कैसे होगा। कनक ने भले ही कचरा गाड़ियों में गीला व सूखा के दो कंपार्टमेंट बना रखे थे, लेकिन यह महज खानापूर्ति रही। कोई भी कचरा, किसी भी कंपार्टमेंट में डालने पर संकलन करने वालों को कोई आपत्ति नहीं रही। नई व्यवस्था में वर्गीकृत करने पर ही कचरा संकलन की सख्ती की जा रही है। जबकि लोगों को पता ही नहीं गीला, सूखे का वर्गीकरण कैसे करना है। हालांकि 20 नवंबर तक मोहलत दी गई है। 

स्वच्छता दूतों पर जिम्मेदारी
बता दें कि गीला व सूखा कचरे के बारे में मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी स्वच्छता दूतों पर डाली गई है। बस्ती में गाड़ियां घुमेंगी तो कचरा लेकर आने वालों को स्वच्छता दूत बता पाएंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि बस्ती में गाड़ियां ही नहीं पहुंची, तो नागरिकों को कौन बताएगा गीला, सूखा क्या है।

Created On :   18 Nov 2019 3:34 PM IST

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