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जैसा क्षेत्र होता है वैसे भाव होते हैं, अच्छे अवसर का सदुपयोग करना चाहिए -सुवीरसागर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अच्छे अवसर जल्द निकल जाते हैं। उसका सदुपयोग करना चाहिए। यह उद्गार तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मतिसागर के शिष्य आचार्य सुवीरसागर ने श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर, सूर्यनगर में व्यक्त किए। आचार्यश्री ने कहा कि आचार्य कुन्दकुन्द देव कहते हैं जीव का उपयोग द्रव्य क्षेत्र काल भाव से बनता है। अच्छे क्षेत्र में पहुंचने से अच्छे भाव होते हैं। होटल के सामने से जाओगे तो खाने के भाव होंगे और चौके में मुनि को आहार दान करने के भाव होते हंै। सोते-सोते भी उपयोग चलता है। इसलिए सोने के पहले जगने तक चारों प्रकार के आहार का त्याग करना चाहिए, ताकि सोने में अगर मरण को प्राप्त हुए तो निश्चित ही अच्छी गति प्राप्त होगी ऊपर से पुण्य भी प्राप्त होगा यानी एक पर एक फ्री मिलेगा। जब तक भगवान की पूजा चल रही है तब तक घर और परिवार का त्याग करना चाहिए।
आचार्यश्री सुवीरसागरजी ससंघ की बाजे- गाजे के साथ मंदिर कमेटी एवं सभी भक्तों ने अगवानी की। मंदिर से वेलफेयर एसोसिएशन मैदान तक घटयात्रा बाजे-गाजे के साथ निकली। इसमें पंडित पवनकुमारजी सागरवाले एवं सभी भक्त शामिल थे। चरण प्रक्षालन पुण्यार्जक सुशीलादेवी बाबूलाल जैन, अनिल जैन वीएसआर परिवार ने किया। जीनवाणी भेंट सभी महिलाओं ने की। धर्म सभा का संचालन मंदिर कमेटी के मंत्री दिनेश दीपचंद जैन ने किया। इस अवसर पर अध्यक्ष रूपनारायण चौधरी, भंवरलाल सेंबारा, राजेश जैन, नत्थूलाल जैन, राकेश जैन, गोविंदलाल जैन, जयचंद दोशी, कैलास जैन, राकेश बडकुर, इंदरचंद जैन, दीपचंद कोठिया, गजेंद्र गोधा, संजय सराफ, राजेश जैन मोनी, विपुल कासलीवाल, हरीश जैन मधुबन, मगनभाई दोशी, मुन्नालाल जैन आदि प्रमुखता से उपस्थित थे।
‘वेदी के शिलान्यास से मंदिर बनाने का पुण्य प्राप्त’
वेदी के शिलान्यास से मंदिर बनाने का पुण्य प्राप्त होता है। यह उद्गार तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मतीसागर के शिष्य आचार्य सुवीरसागरजी ने श्री चंद्रप्रभ दिगंबर जैन मंदिर, महल में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि शिलान्यास में जिसकी शीला लगती है वह बहुत पुण्यशाली जीव होता है। अपने मकान, महल की शीला तो हर कोई बना लेता है, पर मंदिर के शिलान्यास में जो शीला दान करता है वह स्वर्ग को प्राप्त कर परम्परा से मोक्ष मार्ग प्रशस्त कर लेता है।
Created On :   5 Dec 2019 1:21 PM IST