गोसीखुर्द सिंचाई घोटाला : एसीबी ने सदर थाने में 7 नए प्रकरण दर्ज कराए

Gosikhurd irrigation scam acb  lodges 7 new cases in sadar police station
गोसीखुर्द सिंचाई घोटाला : एसीबी ने सदर थाने में 7 नए प्रकरण दर्ज कराए
गोसीखुर्द सिंचाई घोटाला : एसीबी ने सदर थाने में 7 नए प्रकरण दर्ज कराए

डिजिटल डेस्क, नागपुर । विदर्भ के बहुचर्चित विदर्भ पाटबंधारे विकास महामंडल के अंतर्गत गोसीखुर्द सिंचाई प्रकल्प के विविध कार्यों के लिए निकाले गए टेंडर में अनियमितता के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इस प्रकरण की जांच कर रहे एसीबी की  विशेष टीम ने नागपुर और अमरावती में एक ही दिन में 14 मामले दर्ज कराए हैं। इसमें सात नए प्रकरण नागपुर के सदर थाने में और सात अमरावती में दर्ज कराए गए हैं। सदर में दर्ज प्रकरण में 11 अधिकारियों-कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया है।

गोसीखुर्द सिंचाई प्रकल्प के लिए नहर की दीवार, प्लास्टर और  निर्माण कार्य के लिए टेंडर निकाले गए थे। इसमें कुछ ठेकेदारों की खामियों के बारे में मालूमात होने के बाद भी  महामंडल के कुछ अधिकारियों ने उन ठेकेदारों को लगातार लाभ पहुंचाने में मदद की। अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया।  प्रकरण की जांच एसीबी की अधीक्षक रश्मि नांदेडकर, अपर पुलिस अधीक्षक राजेश दुद्दलवार के मार्गदर्शन में एसीबी के अधिकारी मिलिंद तोतरे व रवींद्र राऊल,  प्रमोद चौधरी, दिनेश लबडे, प्रफुल गिते, भावना धुमाले व अन्य पुलिस निरीक्षक कर रहे हैं।

निर्माण कार्यों में जमकर खेल
गोसीखुर्द  बायीं ओर की मुख्य नहर में 11 से  22.93 कि मी में पेवर मशीन व ब्लीचिंग प्लांट और प्लास्टर के टेंडर निविदा, जे.वी. फर्म, मै. एस. एस. फेब्रिकेटर्स एण्ड मैन्युफैक्चरर्स को टेंडर की शर्त में धारा 2.11 में प्रावधान के आधार पर 39.44 प्रतिशत सहूलियत देकर टेंडर के लिए पात्र ठहराया गया। इसके लिए सेवानिवृत कार्यकारी अभियंता वसंत ज्ञानदेव गोन्नाडे, तत्कालील विभागीय लेखा अधिकारी अरुण खेमलाल कोकुडे, सोपान रामराव सूर्यवंशी काे जिम्मेदार मानकर उनके खिलाफ सदर थाने में प्रकरण दर्ज कराया गया है।

निर्माण एजेंसी को दिया लाभ
घोडाझरी शाखा नहर में भी आरोपी अधिकारियों ने जे.वी. फर्म को खूब लाभ पहुंचाया। नियमों की अनदेखी करते हुए कदम-कदम पर इस फर्म की मदद की गई। इसके लिए आरोपी गुरुदास सहादेवराव मांडवकर, संजय लक्ष्मण खोलापुरकर, सोपान सूर्यवंशी, देवेंद्र परशुराव शिर्के के खिलाफ सदर थाने में प्रकरण दर्ज कराया गया है।

सीबीआई जांच की मांग
 विदर्भ के चर्चित गोसीखुर्द सिचाई घोटाला प्रकरण में हुई धांधली की सीबीआई द्वारा जांच कराए जाने की मांग करते हुए एक जनहित याचिका जनमंच ने उच्च न्यायालय में दायर की है। यह मामला सीबीआई को दिए जाने की मांग वाली इस जनहित याचिका पर अंतिम सुनवाई होने वाली थी। इस सुनवाई के पहले ही एसीबी ने उच्च न्यायालय में शपथपत्र दाखिल कर दिया है।

मोखाबर्डी उपसा सिंचन योजना 
एसीबी के विशेष दस्ते ने  ‘मोखाबर्डी उपसा सिंचन योजना के तहत मुख्य नहर 0 से 23.85 कि.मी. बनाने के लिए मिट्टी, निर्माण कार्य और प्लास्टर करने का टेंडर निकाला गया था। इसमें महामंडल के अधिकारियों ने जे.वी. फर्म काे नियमों की अनदेखी कर उसे टेंडर प्रक्रिया में सहभागी होने का अवसर दिया। इसके लिए तत्कालीन कार्यकारी अभियंता आरोपी  श्रीपाद मधुकर आपटे, विभागीय लेखा अधिकारी सी. टी. जिभकाटे , अधीक्षक अभियंता डी. डी. पोहेकर, मुख्य अभियंता एस आर सूर्यवंशी और कार्यकारी संचालक डी पी शिर्के को दोषी पाया गया। इन चारों के खिलाफ सदर थाने में धारा  13 41, 4 क,  4 ड, सहधारा 13, 42 के तहत प्रकरण दर्ज कराया गया है।

आसोलामेंढा नहर के नवीनीकरण में खेल
एसीबी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि आसोलामेंढा नहर के 1 से 41.37 किलोमीटर का नवीनीकरण के साथ ही मिट्टी, निर्माण कार्य और प्लास्टर का कार्य करने का टेंडर निकाला गया था। इसमें जे.वी. फर्म काे महामंडल के अधिकारियों ने लाभ पहुंचाकर उसे टेंडर प्रक्रिया में सहभागी होने के लिए अवैध तरीके से सहयोग किया। यह बात उजागर होने पर एसीबी ने तत्कालीन विभागीय लेखा अधिकारी गुरुदास सहादेवराव मांडवकर, तत्कालीन अधीक्षक अभियंता संजय लक्ष्मण खोलापुरकर, तत्कालीन मुख्य अभियंता सोपान आर सूर्यवंशी, तत्कालीन कार्यकारी संचालक  देवेंद्र परशुराव शिर्के को दोषी पाया। इन सभी के खिलाफ सदर थाने में प्रकरण दर्ज कराया गया। 

नेरला-पाघोरा उपसा सिंचाई योजना
नेरला- पाघोरा उपसा सिंचाई योजना के अंतर्गत 2 से 8.5 कि.मी. की मुख्य नहर के लिए निकाले गए मिट्टी व निर्माण कार्य के टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई। इसके लिए महामंडल के अधिकारियों ने सारे नियमों को दरकिनार करते हुए टेंडर कार्य के मूल्य 430.12 लाख अवैध तरीके से बढ़ाकर अनियमितताएं कीं। आरोपी कार्यकारी अभियंता प्रभाकर विट्‌ठलराव मोरघडे, तत्कालीन विभागीय अधिकारी राम पुरुषोत्तम वाईकर,  तत्कालीन अधीक्षक दिलीपदेवराव पोहेकर, तत्कालीन मुख्य अभियंता सोपान रामराव सूर्यवंशी और तत्कालीन कार्यकारी संचालक रोहिदास मारुति लांडगे को जिम्मेदार माना गया। इनके खिलाफ सदर थाने में प्रकरण दर्ज कराया गया। 

25 से 45 किमी नहर में गोलमाल
मोखाबर्डी उपसा सिंचन योजना के तहत मुख्य नहर जो कि 25 से 45 किलोमीटर के मिट्टी, निर्माण कार्य व प्लास्टर के कार्य के लिए निकाले गए टेंडर में जेवी फर्म को लाभ पहुंचाया गया। महामंडल के अधिकारियों ने 28 सितंबर 2007 को नियमों की अनदेखी करते हुए जेवी फर्म को टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने का मौका दिया। आरोपी अधिकारियों ने इसके टेंडर रकम को 450.49 लाख रुपए बढ़ाकर अनियमितताएं कीं। इस मामले में तत्कालीन कार्यकारी अभियंता श्रीपाद मधुकर आपटे, सी. टी. जिभकाटे, डी.डी. पोहेकर और एस.आर. सूर्यवंशी को जिम्मेदार मानते हुए सदर थाने में प्रकरण दर्ज कराया गया है। 

 

Created On :   13 Feb 2020 5:28 AM GMT

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