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35 वर्षों में 60 फीसदी बना गोसीखुर्द प्रकल्प, लागत हुई दोगुनी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। 35 साल में 11 हजार 85 करोड़ 33 लाख 50 हजार की निधि खर्च करने के बावजूद गोसीखुर्द प्रकल्प का 60 फीसदी ही काम पूरा हो सका है। नागपुर, भंडारा व चंद्रपुर जिले तक फैले इस प्रकल्प से 14984 परिवार प्रभावित हुए हैं, जिनमें से 11246 परिवारों का ही पुनर्वसन होने का खुलासा आरटीआई में हुआ है। इस प्रकल्प की आधारशिला पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 31 मार्च 1983 को रखी थी। समय के साथ यह प्रकल्प विवादों व सुर्खियों में रहा है। देखा जाए तो इस प्रकल्प का खर्च दोगुना होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
खर्च का अनुमान लगाना भी मुश्किल
आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार, 35 साल पहले शुरू हुए गोसीखुर्द प्रकल्प का अभी भी 40 फीसदी काम बाकी है। अब तक इस प्रोजेक्ट पर 11 हजार 85 करोड़ 33 लाख 50 हजार की निधि खर्च हो चुकी है और काम पूरा होने तक और कितनी निधि खर्च होगी अभी बताना मुश्किल है। इस प्रकल्प से वैसे तो 3 जिले के लोग प्रभावित हुए, लेकिन सबसे ज्यादा भंडारा जिले के लोग प्रभावित हुए हैं। कुल 14984 परिवार प्रभावित हुए, जिनमें से अब तक 11246 परिवारों का पुनर्वसन किया गया है। 3738 परिवार अभी भी पुनर्वसन की राह ताक रहे हैं।
भ्रष्टाचार के चलते सुर्खियों में
यह प्रकल्प अपनी भव्यता के साथ ही अनियमितता व भ्रष्टाचार के कारण भी सुर्खियों में रहा है। अनियमितता व भ्रष्टाचार के आरोप में अब तक गोसीखुर्द प्रकल्प से जुड़े एक दर्जन से ज्यादा तकनीकी अधिकारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। इसी तरह इतने ही अधिकारियों पर एफआईआर भी हुई है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के मार्फत पूरे मामले की जांच हो रही है। अधिकारियों के साथ ही ठेकेदार भी मामले में फंसा है। जिस वक्त प्रकल्प की आधारशिला रखी गई, उस वक्त राज्य व केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। इस दौरान केंद्र व राज्य में कई सरकारें आईं और गई, लेकिन प्रकल्प का काम अब तक पूरा नहीं हुआ। सबसे लंबे समय तक चलनेवाला यह राज्य का पहला प्रोजेक्ट है।
प्रभावितों का पुनर्वसन
सरकार की तरफ से प्रभावित परिवारों को खेती का मुआवजा, मकान का मुआवजा, घर बनाने के लिए विशेष अनुदान, तकनीकी प्रशिक्षण अनुदान, मुख्यमंत्री विशेष पैकेज, नौकरी की बजाय एकमुश्त आर्थिक मदद, पशुओं को रखने हेतु अनुदान, पुनर्वसन अनुदान, खेत जमीन की बजाय नकद राशि, घरनिर्माण अनुदान, वैकल्पिक गावठाण में भुखंड, नागरी सुविधा दी गई।
मांगों को पूरा करने समिति गठित
गोसीखुर्द प्रभावित लोगों ने नागरी सुविधा, पुनवर्सन व मुआवजे को लेकर कुछ महीने पहले विधायक निवास में जमकर बवाल मचाया था। सरकार ने इनकी मांगों को पूरा करने एक समिति बनाई है। समिति की रिपोर्ट मुख्यमंत्री के समक्ष रखी जाएगी। समिति में प्रभावित लोगों के प्रतिनिधियों को भी जगह मिली है।
समयसीमा तय होनी चाहिए
हर प्रोजेक्ट के पूरा होने की तय समयसीमा होनी चाहिए। 35 साल बाद भी काम पूरा नहीं होना दु:खद है। अब तक प्रभावित लोग पुनर्वसन के लिए तरस रहे हैं। समय के साथ लागत मूल्य हर साल बढ़ रहा है। कब तक प्रोजेक्ट पूरा होगा व कितनी निधि आैर लगेगी, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। प्रोजेक्ट पूरा होने के पूर्व ही कई अधिकारी अनियमितता, भ्रष्टाचार व दलाली में फंस चुके हैं।
-अभय कोलारकर, आरटीआई एक्टिविस्ट
Created On :   7 Jan 2019 11:20 AM IST