कैग रिपोर्ट : गोसीखुर्द-करोड़ों किए खर्च, बढ़ी सिर्फ 20 फीसदी सिंचाई क्षमता

Gosikhurd: spent crores, only 20% irrigation capacity increased-CAG report
कैग रिपोर्ट : गोसीखुर्द-करोड़ों किए खर्च, बढ़ी सिर्फ 20 फीसदी सिंचाई क्षमता
कैग रिपोर्ट : गोसीखुर्द-करोड़ों किए खर्च, बढ़ी सिर्फ 20 फीसदी सिंचाई क्षमता

डिजिटल डेस्क, मुंबई। गोसीखुर्द सिंचाई परियोजना के तहत 34 साल में 9712.09 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद केवल 20 फीसदी सिंचाई क्षमता तक पहुंचा जा सका। शुरूआत में यह सिंचाई परियोजना सिर्फ 372 करोड़ रुपए की थी लेकिन त्रुटिपूर्ण योजनाओं और देरी के चलते इसमें 18495 करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी हुई। बुधवार को महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक परियोजना में अनिममितता के चलते केंद्र ने कम धनराशि जारी की। 

परियोजना का खर्च तीसरी बार संशोधित 
परियोजना का खर्च तीसरी बार संशोधित किया गया है। लेकिन केंद्रीय जल आयोग ने फिलहाल व्यवहारिक वित्तपोषण योजना के अभाव में इसे मंजूरी नहीं दी है। कैग के मुताबिक परियोजना के तहत हुए कई काम बेहद घटिया दर्जे के हैं। यही नहीं कई काम तय डिजाइन के तहत नहीं हुए हैं। जमीन न होने के चलते कई काम रुके रहे। गलती सुधारने से जुड़े काम भी बेहद सुस्त गति से हुए। नियम कानून को ताक पर रखकर ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया गया। बुनियादी सुविधाओं के अभाव में लोगों के पुनर्वसन के काम में भी देरी हुई। कई मामलों में पुनर्वसन से काफी पहले सुविधाएं तैयार कर लीं गई और पुनर्वसन के वक्त तक उसमें मरम्मत की जरूरत हो गई। कई मामलों में दो बार भुगतान और देरी से भुगतान के मामले भी सामने आए। इसके चलते खर्च का दबाव बढ़ा। इस परियोजना के जरिए 2 लाख 50 हजार 800 हेक्टेयर जमीन को सिंचित करने की योजना थी लेकिन असल में सिर्फ 50 हजार 317 हेक्टेयर जमीन तक ही सिंचाई सुविधा पहुंचाई जा सके। 

1983 में मिली थी मंजूरी 
गोसीखुर्द परियोजना को मार्च 1983 में मंजूरी मिली थी। इसके जरिए भंडारा, नागपुर और चंद्रपुर जिलों में सिंचाई क्षेत्र बढ़ाने की योजना थी। 2009 में केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना घोषित कर दिया। 2012 से 2017 तक किए गए लेखा परीक्षण से पता चलता है कि राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना घोषित होने के बावजूद जल संसाधन विभाग कार्यपद्धति में सुधार करने में असफल रहा। विभागीय निगरानी के अभाव में काम की गुणवत्ता घटिया रही। इसके अलावा संबंधित नदियों के जरिए बांध में गंदा पानी पहुंचता रहा।
 

Created On :   28 March 2018 2:39 PM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story