गोसीखुर्द : कैनल में पहुंचा पानी फिर भी तरस रहे किसान

Gosikhurd the water reached the canal  farmers are still craving
गोसीखुर्द : कैनल में पहुंचा पानी फिर भी तरस रहे किसान
गोसीखुर्द : कैनल में पहुंचा पानी फिर भी तरस रहे किसान

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  गोसीखुर्द सिंचाई परियोजना विदर्भ का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है लेकिन इस प्रोजेक्ट का पानी 30 वर्षों में कैनल तक ही पहुंचा है क्योंकि इसके पानी के लिए किसान अभी भी तरस रहे हैं । 22 अप्रैल को परियोजना के भूमिपूजन को 30 वर्ष पूरे होंगे। सन् 1983 में परियोजना की लागत 372 करोड़ थी। काम पूरा नहीं होने से सन 2010 में लागत बढ़कर 11 हजार 500 करोड़ की गई। बांध बनकर तैयार हो गया। 2 लाख 62 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता के इस बांध से मुश्किल से 65 हजार हेक्टेयर को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो पाया है। परियोजना के आला अधिकारियों का दावा है कि, राइट कैनल से 155 किमी तक पानी पहुंच गया है, पर पानी कैनल में पहुंचा है, खेतों में नहीं। जिन खेतों से कैनल खोदा गया है, वह खेत बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। सरकार की ओर से गोसीखुर्द परियोजना को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। सरकार के दावों की सच्चाई जानने के लिए जनमंच की सिंचाई शोधयात्रा रविवार को घोड़ाझरी ब्रांच कैनल पहुंची। इस कैनल से किसानों को एक बूंद भी पानी नहीं मिलने का राज उजागर हुआ। अधिकारियों ने बताया कि, इसे प्राथमिकता नहीं थी, इसलिए काम आगे नहीं बढ़ा। अन्य काम पूरे होने के बाद इसे आगे बढ़ाया जाएगा। दौरे में जनमंच के अध्यक्ष शरद पाटील, प्रकाश इटनकर, लोकनायक बापू अणे स्मारक समिति के एड. अविनाश काले, वेद फाउंडेशन के अध्यक्ष देवेंद्र पारेख, भारतीय किसान संघ के नाना आखरे, अजय बोंद्रे, शामराव घोंगे, दिलीप ठाकरे, गोसीखुर्द प्रकल्पग्रस्त संघर्ष समिति के एड. गोविंद भेंडारकर आदि उपस्थित थे।

10 करोड़ निधि की आवश्यकता
घोड़ाझरी ब्रांच कैनल 55 किमी लंबी है। 1 से 26 किमी के बीच का काम टुकड़ों में किया गया है। 26 से 55 किमी के दायरे में काम शुरू ही नहीं किया गया है। इसे पूरा करने के लिए 24 करोड़ की निधि की आवश्यकता है। इसमें से 6.5 करोड़ निधि तक खर्च नहीं हुई है। 7.5 करोड़ की निधि इस वर्ष आवंटित की गई है। 10 करोड़ की और आवश्यकता है। एक सत्तापक्ष के विधायक की कंपनी को इस काम का ठेका दिया गया है। इस वर्ष ठेकेदार ने काम शुरू नहीं किया है। ठेका कंपनी विधायक की रहने से अधिकारी हतबल हैं।

Created On :   16 April 2018 3:51 PM IST

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