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मेयो-मेडिकल में सिकलसेल लैब शुरू करने सरकार तैयार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल (मेडिकल)और इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय (मेयो) में बंद पड़ी सिकलसेल लैब शुरू करने सरकार ने तैयारी दिखाई है। बता दे कि सिकलसेल लैब बंद होने का मुद्दा एक जनहित याचिका में उठाया गया था। इस पर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में उत्तर दिया है कि सरकार दोनों अस्पतालों में बंद पड़ी लैब शुरू करने के लिए तैयार है। इसके लिए सरकार को मुंबई से विशेष टेक्नीशियन बुलाने की जरूरत नहीं है। बल्कि सरकार नागपुर में ही स्वास्थ्यकर्मियों को इस लैब के संचालन का प्रशिक्षण देगी। बता दें कि बीती सुनवाई में शासकीय अस्पतालों की दुरावस्था पर केंद्रित जनहित याचिका की सुनवाई में न्यायालीन मित्र एड. अनूप गिल्डा ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि विशेषज्ञों के अभाव में यह प्रयोगशाला बंद पड़ी हैं। ऐसे में सिकलसेल, थैलेसिमिया, गर्भजल परीक्षण के सैंपल हिस्टोपैथी विभाग को भेजे जाते हैं। करोड़ रुपए खर्च करके बनाई गई ये प्रयोगशालाएं आज धूल खा रही हैं। इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था।
यह हो रही थी समस्या : न्यायालीन मित्र गिल्डा ने कोर्ट को बताया कि नागपुर में यह परीक्षण बंद है, लेकिन एचटीसीएल तंत्र काम कर रहा है। ऐसे में जो भी सैंपल लिए जाते हैं, उन्हें जांच के लिए मुंबई भेजा जाता है। इसके लिए मरीज को चार हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। आर्थिक दृष्टि से कमजोर तबके के लोगों के लिए यह बड़ी परेशानी है। उनके लिए इतना महंगा इलाज करा पाना संभव नहीं है। गिल्डा ने पैरवी की, कि मेयो में डीन 60 प्रतिशत अनुदान सिर्फ सिकलसेल के लिए बचाकर रखें। उन्होंने तर्क दिया कि वर्ष 2013 से 15 के बीच जेजे हाॅस्पिटल में 56, मेडिकल में 2200 तो मेयो में 1500 मरीजों ने इलाज कराया। इससे स्पष्ट होता है कि मध्य भारत में इस बीमारी के मरीज सबसे ज्यादा हैं।
Created On :   12 Jan 2018 12:05 PM IST