बिजली दर पर लग सकता है 30 पैसे प्रति यूनिट का झटका

government can be increased 30 paisa per unit on electricity bill
बिजली दर पर लग सकता है 30 पैसे प्रति यूनिट का झटका
बिजली दर पर लग सकता है 30 पैसे प्रति यूनिट का झटका

अतुल मोदी, नागपुर । सरकार जब भी नई फैसलिटी की बात करे तो समझो उसका बोझ जनता पर ही पड़ने वाला है। ऐसा FGD फ्यूल गैस डीसल्फराइजेशन सहित अन्य यंत्र लगाने की योजना में  दिखाई दे रहा है। प्रदूषण नियंत्रण यंत्र लगाने की कीमत कैसे वसूली जा सकेगी, इस पर विद्युत उत्पादकों ने ऊर्जा मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांगा था। इसके बाद ही सरकार इसकी कवायद में जुटी है। बिजलीघरों का कहना है कि बैंक इन उपकरणों के लिए तभी कर्ज देने को तैयार हैं, इसकी कीमत विद्युत दरों के माध्यम से वसूली जाएगी। यानी महंगी बिजली की कीमत पर ही आमजन को सांस लेने के लिए स्वच्छ वायु मिल सकेगी।  सरकार इसके लिए केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग से परामर्श के बाद दिशा-निर्देश जारी कर सकती है।
एफजीडी (फ्यूल गैस डीसल्फराइजेशन) सहित अन्य प्रदूषण नियंत्रण यंत्र लगाने में बिजलीघरों को करीब 70 लाख से 1 करोड़ रुपए प्रति मेगावाट तक खर्च आने का अंदाज है। बिजलीघर यह राशि अपने जेब से नहीं खर्च करना चाहती। सरकार भी उनके पक्ष में दिख रही है। ऐसे में महंगी बिजली का झटका खा रहे उपभोक्ता को 20 से 30 पैसे प्रति यूनिट का झटका और लग सकता है। खास यह कि इस बढ़ी दर को सरकार एमओडी (मेरिट ओवर डिस्पैच) से बाहर रखना चाहती है, ताकि इन बिजलीघरों की बिजली वितरण कंपनियां खरीदती रहें और ये प्रतियोगिता में बने रहें। मतलब साफ है बिजली महंगी ही होगी और इन्हें खरीदना वितरण कंपनी की और पैसे की चोट खाना विद्युत उपभोक्ता की मजबूरी होगी।
ऊर्जा मंत्रालय भी मिला रहा हां में हां
वन तथा पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 2015 में ताप विद्युतघरों के लिए पर्यावरण के मानकों में परिवर्तन किया था। इस आधार पर 2016 अंत तक लगी विद्युत इकाइयों को वर्ष 2017 के अंत तक एफजीडी सहित अन्य प्रदूषण नियंत्रण यंत्र लगाने थे। इसके बाद लगी इकाइयों को इन यंत्रों के लगने के बाद ही मंजूरी दिए जाने का प्रावधान है। जानकारी के अनुसार, समय सीमा खत्म होने को आई तो अब ऊर्जा मंत्रालय कहने लगा कि 2 वर्ष यह सब करने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऊर्जा मंत्रालय का कहना है कि इसमें कम से कम 3 वर्ष का और समय लग सकता है। अत: समय का निर्धारण प्रत्येक बिजलीघर के अनुसार किया जाए, क्योंकि देश में करीब 200 गीगावाट की क्षमता के बिजलीघर लगे हुए हैं।
कोराडी व खापरखेड़ा बिजलीघरों ने नहीं की कोई पहल
खापरखेड़ा व कोराडी में महाजेनको के बिजली घर हैं। कोराडी की उत्पादन क्षमता 2400 मेगावाट है व यहां 5 इकाइयां हैं। खापरखेड़ा में 5 इकाइयां कार्यरत हैं। इनकी कुल उत्पादन क्षमता 1340 मेगावाट है। जानकारी के अनुसार, दोनों बिजलीघरों ने एफजीडी लगाने के लिए अभी तक कोई पहल नहीं की है, सिवाय पूछताछ के।

Created On :   14 Dec 2017 1:27 PM IST

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