अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान के कर्मचारियों की नियुक्ति से जुड़े अधिकार का हनन नहीं कर सकती सरकार - हाईकोर्ट

Government cannot abrogate the rights of minority educational institutions - High Court
अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान के कर्मचारियों की नियुक्ति से जुड़े अधिकार का हनन नहीं कर सकती सरकार - हाईकोर्ट
अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान के कर्मचारियों की नियुक्ति से जुड़े अधिकार का हनन नहीं कर सकती सरकार - हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार पाबंदी लगाकर अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के कर्मचारियों के नियुक्ति से जुड़े मूलभूत अधिकारों का हनन नहीं कर सकती है। ऐसे संस्थानों के पास अपने पसंद के कर्मचारियों की नियुक्त करने का हक है। हाईकोर्ट ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई के बाद यह बात कही। महिला ने एक कैथलिक स्कूल में शिक्षकेत्तर कर्मचारी के पद पर नौकरी के लिए आवेदन किया था जिसे शिक्षा अधिकारी ने सरकार की ओर से जारी किए गए साल 2015 के शासनादेश के आधार पर अवैध घोषित कर दिया गया था और महिला की नियुक्ति को मंजूरी देने से इंकार कर दिया था। किंतु अब कोर्ट ने महिला को राहत दी है और शिक्षा अधिकारी को महिला की नियुक्ति को मंजूरी देने का निर्देश दिया है। सरकार ने इस शासनादेश के जरिए स्कूलों में शिक्षकेत्तर कमर्चारियों की नियुक्ति पर रोक लगाई  है। 

न्यायमूर्ति अनूजा प्रभु देसाई ने कहा कि शैक्षणिक संस्थान का प्रभावी कामकाज व उसकी क्षमता शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों उपलब्धता पर निर्भर करता है।  अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान के पास अपनी पसंद के कर्मचारियों की नियुक्ति करने का हक है।  यदि सरकार इस विषय पर कोई बंधन डालती है तो यह शैक्षणिक संस्थानों को संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत मिले अधिकारों का उल्लंघन होगा। खंडपीठ ने कहा कि सरकार की ओर से साल 2015 में जारी किया गया शासनादेश सिर्फ मंजूर शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के पदों पर नियुक्ति के लिए प्रतिबंध लगाता है। जो स्कूल के कामकाज को प्रभावित करता है। अनिश्चित काल के लिए सरकार की ओर से शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति पर लगाई गई रोक स्कूल के दिन प्रतिदिन के काम काज पर विपरीत असर डालती है।

 न्यायमूर्ति ने कहा कि अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान को ऐसे कर्मचारियों को नियुक्ति करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है जो उसके पसंद के नहीं है। न्यायमूर्ति ने स्पष्ट किया कि सरकार नियुक्ति पर प्रतिबंध लगाकर अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान की प्रशासकीय स्वायत्ता को सीमित नहीं कर सकती है। नियुक्ति को लेकर सरकार की ओर से लगाई जानेवाली कोई भी पाबंदी अल्पसंख्य शैक्षणिक संस्थानों को संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत मिले अधिकारों का उल्लंघन होगा। शिक्षा अधिकारी ने चपरासी के पद के लिए आवेदन करनेवाले महिला की नियुक्ति को नमंजूर करते समय इस पहलू को नजर अंदाज किया है। 


 

Created On :   24 Dec 2020 12:41 PM GMT

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