- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- इन 17 बर्खास्त कर्मियों को झटका,...
इन 17 बर्खास्त कर्मियों को झटका, पूर्व नियुक्ति पर लेने से सरकार का इनकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। रविवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आवास के सामने आत्महत्या का प्रयास करने वाले बर्खास्त कर्मचारियों को राज्य सरकार ने पूर्व नियुक्त पदों पर लेने से साफ इनकार कर दिया है। सोमवार को मनपा आयुक्त अश्विन मुद्गल को नगरविकास विभाग के कक्ष अधिकारी शशिकांत योगे ने पत्र जारी कर कहा कि 17 कर्मचारियों को उकने पूर्व पदों पर पुन: नियुक्ति देना नियमनुसार संभव नहीं है। सरकार के इस पत्र ने बर्खास्त कर्मचारियों के जले पर नमक छिड़क दिया है।
सरकार के खिलाफ मोर्चा
बर्खास्त कर्मचारियों में भाजपा ओबीसी मोर्चा के विदर्भ अध्यक्ष सुभाष घाटे भी शामिल हैं। घाटे ने कर्मचारियों पर अन्याय करने का आरोप लगाते हुए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि इस बार पूर्व सूचना देकर आत्महत्या का प्रयास किया गया था, लेकिन अब मंत्रालय के सामने आत्मदाह किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह 89 कर्मचारियों को नियुक्ति दी गई है, उसी तरह हमें भी नियुक्ति दी जाए, अन्यथा हमें नियुक्ति नहीं चाहिए। हम पकौड़ा बेचकर अपना पेट पालेंगे।
सेवा लायक 14 बचे
सोमवार को संवाददाताओं से बात करते हुए भाजपा ओबीसी मोर्चा के विदर्भ अध्यक्ष घाटे ने बताया कि 17 में से एक कर्मचारी की मृत्यु हो चुकी है। 2 लोगों की उम्र 58 पार हो गई है। 14 लोग ही अब सेवा लायक बचे हैं, लेकिन सरकार इन्हें भी न्याय नहीं दे रही है। मैं शुरू से इनके साथ जुड़ा रहा हूं। अंत तक मैं इनके साथ रहूंगा, भले मुझे पार्टी विरोध में भूमिका लेनी पड़ी। उन्होंने कहा कि सरकार का यह पत्र हाईकोर्ट की अवमानना है। कोर्ट में कंटेप्ट ऑफ कोर्ट याचिका दाखिल की जाएगी। इस अवसर पर पीड़ित गंगाधर भिवगडे, विजय हटवार, विनायक पेंडके, अशोक देवगडे, मो. युसूफ उपस्थित थे।
नहीं मिली राहत
वर्ष 1993 में विविध संवर्ग पदों के लिए मनपा ने 256 लोगों की िनयुक्ति की थी। अनेक विवाद के बाद 106 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया था। इसमें से फिर 89 कर्मचारियों को मनपा सेवा में शामिल किया गया, किन्तु 17 कर्मचारियों को न्याय नहीं मिल पाया था। ढाई साल पहले उच्च न्यायालय की न्या. वासंती नाईक ने सरकार को 3 महीने में इस पर सकारात्मक निर्णय लेने का आदेश दिया था। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नागपुर के होने से कर्मचारियों की उम्मीद बढ़ गई थी। उम्मीदें इसलिए भी बढ़ी थीं कि पीड़ितों में एक भाजपा ओबीसी मोर्चा के विदर्भ अध्यक्ष सुभाष घाटे खुद थे, लेकिन पिछले 3 साल में सरकार ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाए। नागपुर अधिवेशन में 8 विधायकों के नेतृत्व में सुभाष घाटे समेत अन्य 16 पीड़ितों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। सकारात्मक आश्वासन भी मिला, लेकिन कोई पहल नहीं होने पर रविवार को पीड़ितों ने आत्मघाती कदम उठाया। अब सरकार के निर्णय ने इन पीड़ितों को निराश कर दिया।
Created On :   13 Feb 2018 5:28 PM IST