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अस्पताल के मनमानी बिल लगेगा अंकुश, लागू होगा कानून

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकार अब अस्पतालों के मनमानी बिल पर अंकुश लगाने की तैयारी कर रही है। शीघ्र ही बिल के संबंध में तय मानक पर विचार चल रहा है। केंद्र सरकार के क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट को राज्य में लागू करने की तैयारी है। इस संबंध में नियोजन विभाग के पास प्रस्ताव लंबित है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ.दीपक सावंत ने विधानसभा में बताया कि राज्य में केंद्र का कानून लागू हो जाने पर अस्पतालों पर विविध तरह से नियंत्रण होगा। ध्यानाकर्षण सूचना के तहत राधाकृष्ण विखे पाटील व अन्य सदस्यों के प्रश्न पर स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी।
जिला स्तर पर फ्रेक्सीनेशन सेंटर : संकलित रक्त का समुचित उपयोग व रक्त से प्लाज्मा अलग करने के लिए जिला स्तर पर फ्रेक्सीनेशन सेंटर खोलने का विचार राज्य सरकार कर रही है। मंत्री सावंत ने बताया कि फिलहाल मुंबई के केईएम अस्पताल में फ्रेक्सीनेशन सेंटर प्रस्तावित है। संकलित रक्त में रक्त एक्सपायरी का प्रमाण 1.80 प्रतिशत है। रक्त की निर्धारित दर से अधिक दर वसूलने वाले 72 ब्लड बैंक पर कार्रवाई की गई है। 328 मंजूर ब्लड बैंक के माध्यम से 2016 में 15.70 लाख यूनिट रक्त संकलित किया गया। राज्य में 11.23 लाख यूनिट रक्त की आवश्यकता है।
यह प्रक्रिया अपनाते हैं : उन्होंने बताया कि राज्य में सरकार मान्य 327 ब्लड बैंक हैं। उनसे ही सरकारी अस्पतालों में ब्लड लिए जाते हैं। संकलित रक्त के इस्तेमाल का समय निर्धारित रहता है। एक्सपायरी डेट के बाद रक्त को नष्ट कर दिया जाता है। ब्लड बैंकों को स्वास्थ्य विभाग केवल अनापत्ति प्रमाण पत्र देता है। मंजूरी फूड एंड ड्रग्स विभाग की रहती है। एफडीआई ही अनियमितताओं की जांच करती है। सदस्यों का अारोप था कि कुछ ब्लड बैंक रक्त बेचने का व्यवसाय करने लगते हैं। सामाजिक संस्थाओं को सरकार रक्त संकलन के लिए संसाधन उपलब्ध कराती है, जबकि कई संस्थाएं खुले तौर पर रक्त बेचती हैं। ब्लड बैंकों पर नियंत्रण नहीं है। आरोप लगानेवाले सदस्यों में मंगलप्रसाद लोढा, शशिकांत शिंदे, एकनाथ खडसे शामिल थे।
Created On :   15 Dec 2017 12:26 PM IST