प्रसार-माध्यमों का जैसा चाहिए, वैसा इस्तेमाल कर रही सरकार: वाजपेयी

Government is using the media as it wants vajpayee
प्रसार-माध्यमों का जैसा चाहिए, वैसा इस्तेमाल कर रही सरकार: वाजपेयी
प्रसार-माध्यमों का जैसा चाहिए, वैसा इस्तेमाल कर रही सरकार: वाजपेयी

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  सरकार द्वारा कोई निर्णय लेते समय उसके सामाजिक और आर्थिक परिणाम क्या होंगे? इसका अध्ययन करने वाली सरकारी संस्थाएं अथवा प्रयोगशालाएं लुप्त हो गई हैं। इसके कारण ‘सरकार द्वारा लिए गए निर्णय योग्य है’ यह मानने का प्रचलन बढ़ गया है। ऐसे में इन निर्णयों का समर्थन करने वाले प्रसार-माध्यमों का जैसा चाहिए, वैसा इस्तेमाल कर सबकुछ ठीक-ठाक है, यह बताने का प्रयास जारी है। यह आरोप वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी ने लगाया।  बालासाहब तिरपुडे जन्मशताब्दी समिति व तिलक पत्रकार भवन ट्रस्ट की ओर से पूर्व उपमुख्यमंत्री व युगांतर शिक्षण संस्था के संस्थापक अध्यक्ष नाशिकराव उर्फ बालासाहब तिरपुडे की स्मृति में पत्रकारिता पुरस्कार वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी को प्रदान किया गया। वसंतराव देशपांडे सभागृह में गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में संस्था के अध्यक्ष राजकुमार तिरपुडे, वरिष्ठ पत्रकार एस.एन. विनोद, महाराष्ट्र श्रमिक पत्रकार संगठन के अध्यक्ष प्रदीप मैत्र आदि उपस्थित थे। 

संस्थागत प्रयोगशाला को कर दिया बंद
इस दौरान वाजपेयी ने देश की मौजूदा राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक स्थिति पर प्रकाश डाला। राजनीतिक निर्णय प्रक्रिया व कार्य पद्धति पर टिप्पणी करते हुए वाजपेयी ने कहा कि देश में योजना आयोग के माध्यम से विविध योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। योजनाओं का समाज पर ‘अच्छा-बुरा’ क्या परिणाम हो सकता है, इसकी जानकारी आंकड़ों सहित विद्यापीठ, शैक्षणिक संस्थाओं व अन्य महत्वपूर्ण संस्थाओं को दी जाती थी। ये सभी संस्थाएं एक प्रयोगशाला की तरह कार्य करती थी। 
लोकतंत्र में यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, लेकिन योजना आयोग को बर्खास्त कर नीति आयोग ने उसकी जगह ली और अब इस प्रयोगशाला को ही बंद कर दिया गया। इसके कारण जीएसटी, नोटबंदी, जीडीपी संबंधी आंकड़े सार्वजनिक करने के बाद उन आंकड़ों को ही योग्य मानने का प्रचलन शुरू है। इसमें प्रसार माध्यमों को साथ लेकर जो कुछ चल रहा है, वह लोकतांत्रिक पद्धति से ही शुरू है, यह बताने का प्रयास किया जा रहा है। फिलहाल नीति आयोग की कार्यपद्धति एक कार्पोरेट कंपनी के एचआर विभाग जैसी है। 

 वरिष्ठ पत्रकार वाजपेयी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम को जब जीडीपी के आंकड़ों में बदलाव कर उसे पेश करने के निर्देश दिए गए तब उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इससे यह समझ में आ रहा है कि कोई भी निर्णय लागू करते समय सिर्फ एक पक्ष का विचार किया जाता है, लेकिन इससे निराश होने की आवश्यकता नहीं है। अब जनता को प्रसार माध्यमों से सवाल करना शुरू करना चाहिए। प्रास्ताविक प्रदीप कुमार मैत्र ने किया। आभार राजकुमार तिरपुडे ने माना।

 

Created On :   17 Jan 2020 8:30 AM GMT

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