अब स्कूलों की मनमानी फीस पर लगाम लगाने की तैयारी में सरकार

Government planning to regulate  Fee Structure of Private Schools
अब स्कूलों की मनमानी फीस पर लगाम लगाने की तैयारी में सरकार
अब स्कूलों की मनमानी फीस पर लगाम लगाने की तैयारी में सरकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। स्कूलों की मनमानी फीस पर लगाम कसने , इसे और प्रभावी बनाने के लिए राज्य सरकार ने शुल्क अधिनियम में संशोधन का निर्णय लिया है। इसके लिए गठित समिति ने हाल ही में शिक्षा मंत्री विनोद तावडे को अपनी सिफारिशें सौंपी हैं। तावडे ने बातचीत में बताया कि समिति की रिपोर्ट उनके पास आई है। इसमें जो सिफारिशें की हैं, इसे लागू करने को लेकर वे जल्द ही निर्णय लेंगे। बता दें कि वी.जी.पलशीकर की अध्यक्षता वाली समिति ने इसमें कुछ अहम बदलाव सुझाए हैं। समिति की सिफारिशों के अनुसार अब एक बार विद्यार्थी के स्कूल में प्रवेश लेने के बाद बार-बार प्रवेश शुल्क देने की जरूरत नहीं होगी। प्रवेश शुल्क की रकम विद्यार्थी वर्ग की मासिक फीस से ज्यादा नहीं रहेगी। समिति ने प्रदेश भर से पालकों, शिक्षकों और स्कूल प्रबंधनों से सुझाव भी मंगाए थे। जिसके अध्ययन के बाद समिति ने कुछ उपाय सुझाए हैं।                                                                      समिति के प्रारूप में हो बदलाव: शुल्क निर्धारण की कार्यकारी समिति के प्रारूप में बदलाव होना चाहिए। अब तक समिति में वर्ग के एक शिक्षक और एक पालक का समावेश होता था। नई सिफारिशों के अनुसार इसमें कक्षा के एक शिक्षक और दो पालकों का समावेश होना चाहिए। अभी ऐसी स्थिति है कि अगर समिति ने निर्धारित समय पर शुल्क निर्धारित नहीं किया तो स्कूल प्रबंधन को शुल्क निर्धारण के लिए विभागीय शुल्क नियामक समिति के पास जाने की अनुमति दी है। इसमें स्पष्टता लेने के लिए समिति ने सिफारिश की है कि ऐसी स्थिति में कक्षा की पिछले वर्ष की फीस में अधिक से अधिक 15 प्रतिशत की वृद्धि की जा सकती है। स्कूल प्रबंधन चाहे तो इससे कम फीस भी स्वीकार कर सकता है। अगर कार्यकारी समिति द्वार निर्धारित शुल्क प्रारूप स्कूल प्रबंधन को मंजूर ना हो, तो प्रबंधन विभागीय शुल्क निर्धारण समिति के पास अपील कर सकता है। 
पालकों और प्रबंधन में विवाद हो तो यह सुझाव : अगर शुल्क निर्धारण करने वाली पालकों की कार्यकारी समिति और स्कूल प्रबंधन में शुल्क प्रारूप को लेकर मतभेद हो तो इसके लिए भी रिपोर्ट में उपाय सुझाए गए हैं। सिफारिशों के अनुसार विवाद की स्थिति में विभागीय शुल्क नियामक समिति को इस मामले में दखल देने के अधिकार हैं। इसी तरह कार्यकारी समिति में शामिल पालक या स्कूल प्रबंधन द्वारा लिखित निवेदन मिलने पर विभागीय समिति अपने पुराने आदेश पर पुनर्विचार कर सकती है। 

Created On :   15 Dec 2017 2:45 PM IST

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