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नए केंद्रीय विश्वविद्यालय को मान्यता देने से सरकार का इनकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय की तरह ही रामटेक के कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने की मांग मध्य भारत में जोर जरूर पकड़ी और विश्वविद्यालय प्रशासन समेत जनप्रतिनिधि भी इसके लिए प्रयास करते नजर आए, लेकिन हाल ही में नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना के प्रति केंद्र सरकार की भूमिका से संस्कृत विश्वविद्यालय के केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने की उम्मीदों पर भी प्रश्नचिन्ह उभर आए हैं।
संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन जहां इस दिशा में प्रस्ताव तैयार करके समितियों से मंजूरी ले रहा है, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में चल रहे एक मामले में नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों को मंजूरी देने से इनकार कर चुका है। दरअसल नागपुर खंडपीठ में अमरावती विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने की मांग की गई थी। इस पर केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और बिहार को छोड़ कर कहीं और केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित नहीं किए जाएंगे।
संस्कृत यूनिवर्सिटी के प्रयास जारी
केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त करने के लिए संस्कृत विश्वविद्यालय पूरा जोर लगा रहा है। इसके लिए क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी प्रयास कर रहे है। बीते दिनों सांसद अजय संचेती, डॉ.विकास महात्मे, विधायक मल्लिकार्जुन रेड्डी और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय को इस दिशा में पत्र भी लिखे थे। इन पत्रों का आधार लेकर संस्कृत विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल ने यह प्रस्ताव पारित किया। साथ ही इस प्रस्ताव को 24 नवंबर को होने वाली मैनेजमेंट काउंसिल की बैठक में भी रखकर मंजूरी दिलाई जाएगी। इसके बाद यह प्रस्ताव राज्यपाल के पास मान्यता के लिए भेजा जाएगा, लेकिन इधर केंद्र सरकार द्वारा नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों को नकार देने के बाद संस्कृत विश्वविद्यालय के केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित होने पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
हमारा 100 प्रतिशत प्रयास रहेगा
कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विवि, प्रभारी कुलगुरु डॉ.प्रमोद येवले का कहना है कि संस्कृत भाषा के विकास और प्रसार के लिए कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने की सख्त जरुरत है। इस से मध्य भारत की शिक्षा की नींव और बुलंद होगी। विश्वविद्यालय ने अपनी ओर से तो पूरा प्रयास किया है। मगर केंद्र सरकार की इस भूमिका पर मुझे लगता है कि संस्कृत विश्वविद्यालय विशेष श्रेणी में आता है, ऐसे में सरकार इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने पर सकारात्मक विचार करेगी। हम लगातार शासन और प्रशासन से संपर्क में रहेंगे। कोई तकनीकी परेशानी हो तो उसे दूर करेंगे। केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त करने का हमारा 100 प्रतिशत प्रयास रहेगा।
विदर्भ में केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के नहीं कोई आसार
विदर्भ में केन्द्रीय विश्वविद्यालय का सपना अब जल्द साकार होने के आसार नहीं रह गए हैं। संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने से साफ सरकार ने इनकार कर दिया है। दरअसल इस मामले में अमरावती के विधायक डॉ.सुनील देशमुख ने नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर कर यह मांग उठाई थी। इस पर सोमवार को केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दिया है। केंद्र सरकार के अनुसार उन्होंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऍक्ट 2009 में सुधार करके हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विद्यापीठ गढवाल, हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर विश्वविद्यालय और गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ समेत कुल 16 केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना की है।
अागे राष्ट्रीय विकास परिषद से मान्यता प्राप्त 12वीं पंचवर्षीय योजना में आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और बिहार को छोड़ कर कोई भी केंद्रीय विश्वविद्यालय को मान्यता नहीं दी गई है। शेष विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता में सरकार इजाफा जरूर करेगी। इससे संतुष्ट होकर हाईकोर्ट ने अमरावती को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने के आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। इस पर याचिकाकर्ता को यह याचिका पीछे लेनी पड़ी। ऐसे में 8 साल पूर्व इस दिशा में कई गई कोशिश अब नाकाम साबित हुई है।
पहले राष्ट्रपति की भी थी सहमति
संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ को केंद्रीय विद्यापीठ का दर्जा दिलाने के लिए वर्ष 2009 में तत्कालीन कुलगुरु डॉ. कमल सिंह ने प्रयास किए। उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील को प्रस्ताव भी भेजा। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने इस पर सहमति जताते हुए प्रस्ताव केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा दिया था। तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने भी इसे मंजूरी दी। साथ ही राज्य सरकार को पत्र भी जारी किया कि अमरावती विद्यापीठ को केंद्रीय विद्यापीठ का दर्जा देने के लिए पहले विद्यापीठ के पास 500 एकड़ जमीन होना जरूरी है।
भूमि को लेकर भी असमंजस
राज्य सरकार कोर्ट में जानकारी दी थी कि नांदगावपेठ में विश्वविद्यालय लिए जगह प्रस्तावित है। अमरावती विभागीय आयुक्त को यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजना था। आयुक्त ने इस प्रस्ताव पर अापत्ति दर्ज कराई। उनकी अापत्ति थी कि विद्यापीठ की प्रस्तावित जमीन के आवंटन के लिए ग्राम पंचायत ने फैसला नहीं लिया है। इसी तरह जिला परिषद से भी जमीन आवंटन का प्रस्ताव पास नहीं हुआ है। तब से अमरावती विद्यापीठ को केंद्रीय विद्यापीठ का दर्जा देने की मांग अधूरी है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रवीण पाटील ने पक्ष रखा।
Created On :   22 Nov 2017 6:56 PM IST