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महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जल्द जांच के लिए सरकार बनाए विशेष यूनिट : हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। हत्या जैसे गंभीर और महिलाओं के विरुध्द होनेवाले अपराधों की तेजी से से जांच को पूरा करने के लिए राज्य सरकार पुलिस की विशेष यूनिट बनाने पर विचार करे। बांबे हाईकोर्ट ने अपहरण के बाद दुष्कर्म की शिकार एक नाबालिग लड़की के पिता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह सुझाव दिया। अदालत ने बाद में इस मामले में लड़की को अपने 26 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की इजाजत दे दी थी। और अगली सुनवाई के दौरान सरकार को इस मामले की जांच की स्थिति से अवगत कराने का निर्देश दिया था।
मंगलवार को जस्टिस नरेश पाटील व जस्टिस गिरीष कुलकर्णी की बेंच के सामने यह मामला सुनवाई के लिए आया। इस दौरान बेंच ने कहा कि हत्या व महिलाओं के खिलाफ होनेवाले अपराधों की जांच समय से पूरा होना मौजूदा समय की जरुरत है। मामले की जांच को लेकर पुलिस के हल्के रुख से नाराज बेंच ने कहा कि जब अदालत व न्यायाधीश इस तरह के प्रकरणों को गंभीरता से लेते हैं तो पुलिस ऐसे प्रकरणों को लेकर गंभीर क्यो नहीं होती।
पुलिस विभाग का हो विभाजन
अदालत ने कहा कि महिलाओं व बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों की जांच पुलिस को प्राथमिकता के आधार पर करनी चाहिए। अब समय आ गया है कि पुलिस को दो भागो में विभाजित किया जाए। पुलिस के एक वर्ग को सिर्फ कानून व्यवस्था के काम में लगाया जाए जबकि दूसरे वर्ग को सिर्फ गंभीर अपराधों के जांच की जिम्मेदारी दी जाए। मौजूदा समय में पुलिस के पास जांच के लिए समय ही नहीं बचता क्योंकि वे अक्सर धार्मिक उत्सव व दूसरे कार्यक्रम के दौरान बंदोबस्त की ड्यटी में नजर आते है।
हम चाहते है कि गंभीर मामलों की जांच पर वरिष्ठ अधिकारी लगातार नजर रखे। सरकारी वकील अभिनंदन वाग्यानी ने कहा कि हमने पहले से इस संबंध में एक परिपत्र जारी किया है। जिसके तहत मामलों की जांच के लिए पुलिस की अलग यूनिट बनाई गई है। हम सुनिश्चित करेंगे की इस परिपत्र को प्रभावी तरीके से लागू किया जाए।
Created On :   24 April 2018 1:58 PM GMT