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सरकार दोगुने दाम पर विदेश से कोयला खरीदने को तैयार, जबकि देश में भरपूर भंडार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बिजलीघरों को कोयला आपूर्ति करने वाली वेस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड ने कोयला उत्पादन और आपूर्ति दोनों में वृद्धि का दावा किया है। जबकि दूसरी तरफ लगातार कोयले की कमी का रोना रोया जा रहा है। इसलिए प्रदेश सरकार ने केंद्र से 20 लाख टन कोयले के आयात की मंजूरी मांगी है। इसमें भी खास यह है कि पता नहीं कब तक कोयला बिजलीघरों तक पहुंचेगा। फिर उसकी गुणवत्ता के अनुसार बायलर की सेटिंग भी बदलनी होगी। यह भी एक मंहगा काम है। इसके अलावा आयात किए कोयले की कीमत देशी कोयले से दोगुनी है। देशी कोयला करीब 2500 रुपया प्रति टन है, जबकि विदेशी कोयला यहां आकर 5000 रुपया प्रति टन से अधिक होगा। यदि इससे बिजली की कमी पूरी भी हो जाए, तो मार किस पर पड़ेगी? ऊर्जामंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने तो साफ बोल दिया कि इसका भार उपभोक्ता को उठाना पड़ेगा।
उपभोक्ता उठाएगा महंगे कोयले का भार
राज्य सरकार ने कोयला आयात करने के लिए केंद्र से मंजूरी मांगी है। मंजूरी के बाद इसका आर्डर किया जाएगा। कोयला जहाज में लदेगा और भारतीय बंदरगाह पहुंचेगा। मतलब कम से कम 1 महीने का समय बंदरगाह तक पहुंचने में लगेगा। देश में कोयला इंडोनेशिया या आस्ट्रेलिया से आयात होता है। कुछ कारणों से जून से अक्टूबर तक इन देशों से कोयला परिवहन करीब करीब बंद रहता है। ताजा स्थिति यह है कि महाजेनको के बिजलीघरों को प्रति दिन डब्ल्यूसीएल करीब 23 रैक कोयला भेज रही है। महाजैनको सभी बिजलीघरों को चलाने के लिए प्रतिदिन 32 रैक कोयले की मांग होती है। कोल इंडिया पूरी प्राथमिकता से बिजलीघरों को कोयला आपूर्ति में जुटा है। ऐसे में अगले एक माह में स्थिति और सुधरेगी और कोयला आपूर्ति सामान्य के आस-पास पहुंचेगी। उस समय जब इंपोर्ट किया कोयला आएगा, तो उसका क्या होगा। यदि बिजलीघरों में उसे भेजा गया, तो उसके चलते बिजली दर में होने वाली वृद्धि की मार सीधे उपभोक्ता पर होगी। मतलब मंहगी बिजली के चलते करीब 60 पैसे और महंगे कोयले के चलते करीब इतनी और अतिरिक्त राशि का भुगतान आम उपभोक्ता के सिर ही होगी।
कोयले के उत्पादन में जबर्दस्त वृद्धि
डब्ल्यूसीएल की मानें तो कोयले के उत्पादन में जबर्दस्त वृद्धि हुई है। कोल इंडिया के मुख्य प्रबंध निदेशक गोपालसिंह ने ट्वीट और साक्षात्कार में बताया कि सितंबर में कोल इंडिया ने बिजलीघरों को 21 प्रतिशत अधिक कोयला दिया है। इस माह भी अब तक यह वृद्धि 21 प्रतिशत है। जनवरी से मार्च तक बिजलीघरों की मांग में गिरावट आई थी। इसके चलते खदानों पर 68 मिलियन टन कोयले का स्टॉक जमा हो गया था। उन्होंने कहा कि देश में बिजली संकट के लिए कोल इंडिया नहीं, बल्कि कमजोर मानसून है। इसके चलते हायड्रो जनरेशन में कमी आई है। इसके अलावा न्यूक्लियर और पवन ऊर्जा में भी गिरावट रही है। कोयला कंपनियों के अनुसार, पिछले वर्ष सितंबर में भरे गए रैक से इस वर्ष सितंबर में भरे गए रैक में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले साल बिजलीघरों को 29 मिलियन टन कोयला सितंबर में दिया गया था। इस वर्ष 21 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 35 मिलियन टन कोयला बिजलीघरों को भेजा गया है। डब्ल्यूसीएल के आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष सितंबर की अपेक्षा इस वर्ष सितंबर में कोयला उत्पादन में 18 प्रतिशत की वृद्धि रही है, जबकि कोयला आपूर्ति में 44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है।
Created On :   28 Oct 2017 12:00 AM IST