फ्लाई-एेश पर ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मांगा ब्योरा

Green Tribunal asked details on fly-ash of power houses
फ्लाई-एेश पर ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मांगा ब्योरा
फ्लाई-एेश पर ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मांगा ब्योरा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल फ्लाई-एश को लेकर सख्त हुआ है। ट्रिब्यूनल ने देश के सभी राज्यों व संघीय प्रदेशों से पूछा है कि बिजलीघरों से निकलने वाली राख (फ्लाई-एश) ठिकाने लगाने के लिए उनकी क्या योजना है। इसके लिए 4 सप्ताह के भीतर पर्यावरण व वन मंत्रालय के मार्फत जवाब दाखिल करने को कहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की दिल्ली खंडपीठ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति यू.डी. सालवी तथा विशेषज्ञ सदस्य नगीन नंदा की संयुक्त पीठ शांतनु शर्मा तथा अनुपम राघव, सैंडप्लास्ट आदि अलग-अलग दाखिल याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही थी। याचिका में केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी अधिसूचना के आधार पर राख (फ्लाई एश) के प्रयोग के लिए मंजूरी चाह रहे हैं। इस पर ट्रिब्यूनल ने उक्त आदेश जारी करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि प्रत्येक राज्य व संघीय शासित प्रदेश का दायित्व है कि वे केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना के आधार पर बिजलीघरों से निकलने वाली फ्लाई एश का पर्यावरण संरक्षक विधि से निपटान करें।
साथ ही कहा है कि पर्यावरण व वन मंत्रालय द्वारा समय समय पर जारी अधिसूचना के अनुसार, बिजलीघरों से निकलने वाली राख को सड़क बनाने, गड्ढे पाटने, बंद हुई खदान को भरने या अधिसूचना में दिए गए तरीकों में ही किया जाए।
महाराष्ट्र की है अपनी नीति
प्रदेश के उर्जामंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के प्रयासों से महाराष्ट्र सरकार ने बिजलीघरों से निकलने वाली राख के लिए नीति बनाई हुई है। इसकी अधिसूचना 13 दिसंबर 2016 को जारी की गई थी। इसके अलावा प्रदेश की सरकारी व सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी महाजेनको ने भी फ्लाई-एश प्रयोग के लिए सन 2015 में नीति बनाई है। खास यह कि यह दोनों नीति उपराजधानी के ही पर्यावरणविद सुधीर पालीवाल ने बनाई हैं। महाजेनको ने इस आधार पर ही फ्लाई-एश के निबटान के लिए सहायक कंपनी महाजेनको फ्लाई-एश मैनेजमेंट सर्विसेज़ लिमिटेड की स्थापना भी कर दी है। 

Created On :   11 Jan 2018 12:30 PM IST

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