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यंगस्टर्स का एक ऐसा भी ग्रुप, जो कॉलेज से आने के बाद फ्री में गरीब बच्चों को पढ़ाता है

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बहुत से ऐसे बच्चे हैं, जो शिक्षा नहीं मिल पाने के कारण गलत रास्ते पर चले जाते हैं। उनकी पढ़ने की इच्छा होती है, लेकिन पर्याप्त साधन नहीं होने के कारण वे शिक्षा नहीं ले पाते हैं। कुछ यंगस्टर्स का हमारा ग्रुप है, जो इन बच्चों को ‘संडे टू संडे’ हॉस्टल में जाकर पढ़ाता है और उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। हम 10 यंगस्टर्स ने मिलकर संत रविदास छात्रालय, हनुमान नगर और नरसाला इन दोनों स्थानों पर जाकर वहां के बच्चों को शिक्षित करने का काम शुरू किया। कॉलेज गोइंग स्टूडेन्टस संडे टू संडे इनके हॉस्टल जाकर इन्हें पढ़ाते हैं। कई स्टूडेन्ट्स तो शाम को कॉलेज से फ्री होकर बच्चों को ट्यूशन भी देते हैं। युवाओं ने छ: महीने पहले स्काई लाइन फाउंडेशन नामक संस्था तैयार की, जिसमें 7 टीम मेंबर और 40 वॉलेंटियर हैं। ये सभी इन आदिवासी बच्चों को शिक्षित करने का काम करते हैं।
उन्हें अंग्रेजी बोलना नहीं आता था
जब हमने संत रविदास छात्रालय, हनुमान नगर के बच्चों से मिले तो पाया कि दसवीं क्लास के बच्चों को अलफाबेट का भी नॉलेज नहीं था। इसलिए मैंने अंग्रेजी पढ़ाना शुरू किया। आज हमारा पूरा ग्रुप बच्चों के लिए काम कर रहा है। हर कोई अपने स्तर पर बच्चों को पढ़ाता है। हम बच्चों को फ्री शिक्षा देते हैं। उनके पास जरूरत तक का समान नहीं है। समय-समय पर हम उन्हें जरूरत का समान भी उपलब्ध कराते हैं। हमारी तो सोच है कि बच्चे देश का भविष्य हैं और देश के भविष्य को इस तरह गर्त में जाते हुए हम नहीं देख सकते हैं।
लविशा देशमुख, युवा शिक्षक
नरसाला में भी जाकर पढ़ाते हैं बच्चों को
हम ‘संडे टू संडे’ नरसाला भी जाते हैं। हमारा बस एक ही उद्देश्य है, बच्चों को शिक्षित करना। जो बच्चे पढ़ लिख नहीं पाते हैं, वे गलत रास्ते पर चले जाते है। हमने इसे गंभीरता से लिया और फैसला किया कि क्यों न उन बच्चों को शिक्षित कर अच्छा इंसान बनाया जाए। हम उन्हें हर सब्जेक्ट फ्री में पढ़ाते हैं। इससे हमारा भी रिविजन हो जाता है। शिक्षा बांटने से बढ़ती है। हमारे पढ़ाने से अगर किसी बच्चे का भविष्य बन जाता है, तो हमारे लिए सबसे ज्यादा खुशी की बात यही होगी। हमने यह देखा बच्चों में पढ़ने का बहुत इंट्रेस्ट है पर उनके पास पर्याप्त साधन नहीं है। उनके परिवार की आय इतनी नहीं है कि वे बच्चों को पढ़ा सकें। हमारे ग्रुप के सभी सदस्य मिलकर कई बच्चों की फीस भी भरते हैं।
गायत्री दामरे, युवा शिक्षक

Created On :   5 Sept 2018 12:13 PM IST