भंडारा गोंदिया क्षेत्र में लोकसभा चुनाव का रास्ता साफ, हाईकोर्ट से मिली हरी झंडी

HC given green signal to by-election in Bhandara-Gondia area
भंडारा गोंदिया क्षेत्र में लोकसभा चुनाव का रास्ता साफ, हाईकोर्ट से मिली हरी झंडी
भंडारा गोंदिया क्षेत्र में लोकसभा चुनाव का रास्ता साफ, हाईकोर्ट से मिली हरी झंडी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने भंडारा-गोंदिया संसदीय क्षेत्र में प्रस्तावित उपचुनाव को हरी झंडी दे दी। बुधवार को हाईकोर्ट ने चुनावों का विरोध करती प्रमोद गुडधे द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता की दलील थी कि 8 दिसंबर 2017 को भंडारा-गोंदिया के सांसद नाना पटोले ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद यहां की सीट खाली हो गई। वर्ष 2019 में लोक सभा चुनाव प्रस्तावित है। इसके बावजूद महज एक वर्ष की अवधि के लिए यहां उपचुनाव कराए जा रहे हैं, जो जनता के पैसों का दुरुपयोग है।

याचिका के खिलाफ केंद्रीय चुनाव आयोग की अधिवक्ता नीरजा चौबे ने हाईकोर्ट में दलील दी थी कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के सेक्शन 151-ए के अनुसार किसी संसदीय क्षेत्र में सीट खाली होने पर वहां 6 महिने के अंदर चुनाव कराना अनिवार्य है। वर्ष 2019 के चुनावों के मद्देनजर एक साल तक भंडारा गोंदिया की संसदीय सीट खाली रखने से इस क्षेत्र का संसद में कोई प्रतिनिधित्व ही नहीं होगा। इन तमाम दलीलों के मद्देनजर हाईकोर्ट ने चुनावों पर से स्थगन हटा कर चुनावों को हरी झंडी दे दी है। जल्द ही चुनाव आयोग यहां का चुनावी कार्यक्रम जारी करेगा। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.अनिल किल्लोर और राज्य चुनाव आयोग की ओर से एड.जेमिनी कासट ने पक्ष रखा। 

चुनाव को बताया था बेवजह का खर्च
याचिकाकर्ता के अनुसार गोंदिया भंडारा लोकसभा क्षेत्र में 10 अप्रैल 2014 को सांसद के चुनाव हुए थे। 16 मई 2014 को हुई मतगणना में भाजपा के प्रत्याशी नाना पटोले को विजयी घोषित किया गया। इस चुनाव में 5 मार्च से 28 मई 2014 तक आचार संहिता लागू थी। इस चुनाव में कुल 6 करोड़ 28 लाख 86 हजार रुपए का कुल खर्च हुआ था। लेकिन 8 दिसंबर 2017 को नाना पटोले ने अपने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया। 14 दिसंबर को उनका इस्तीफा मंजूर हुआ।

नाना पटोले के सांसद के रूप में इस्तीफा देने के बाद यहां दोबारा चुनाव होने है। दोबारा चुनावों के मद्देनजर सरकार यहां बड़ी रकम खर्च की जा रही है। पुराने चुनाव के खर्च के आधार पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसमें करीब 8 से 9 करोड़ रुपए का खर्च होगा। लेकिन इस चुनाव में विजेता प्रत्याशी को सिर्फ 7 या 8 महीने का कार्यावधि मिलेगा, इसके बाद दोबारा 2019 में चुनाव होंगे। ऐसे में 7-8 महिने के लिए इतनी बड़ी राशी खर्च करना सही नहीं है।

Created On :   11 April 2018 5:32 PM IST

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