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छात्र को कास्ट वैलिडिटी सर्टिफिकेट ना देने पर, अधिकारी पर HC ने लगाया जुर्माना

डिजिटल डेस्क,मुंबई। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होने के बाद भी छात्र को जाति वैधता प्रमाणपत्र न देने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट ने जाति पड़ताल कमेटी के अधिकारी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि जुर्माने की रकम अधिकारी के वेतन से चार सप्ताह में वसूली जाए और यह रकम छात्र को दी जाए।
जस्टिस एससी धर्माधिकारी व जस्टिस भारती डागरे की बेंच ने छात्र की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया। याचिका में छात्र ने दावा किया था कि उसने अपने जाति प्रमाणपत्र के आधार आरक्षित सीट में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया था। इसके बाद अपना जाति प्रमाणपत्र वैधता के लिए जाति प्रमाणपत्र कमेटी के पास भेजा था। एक वर्ष की पढ़ाई पूरी होने के बाद भी कमेटी ने छात्र को जाति वैधता प्रमाणपत्र पत्र नहीं दिया। इस दौरान कालेज ने भी छात्र के जाति वैधता प्रमाणपत्र के संबंध में कमेटी से संपर्क किया। फिर भी छात्र को जाति वैधता प्रमाणपत्र नहीं मिला। इसके बाद छात्र ने 2015 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की। मामले से जुड़े दोनोें पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कमेटी को निर्देश दिया कि वह नौ महीने में छात्र को जाति वैधता प्रमाणपत्र उपलब्ध कराए।
नौ महीने बाद भी जब छात्र को जाति वैधता प्रमाणपत्र नहीं मिला तो उसने फिर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में छात्र ने कहा कि अब उसकी पढ़ाई पूरी हो चुकी है, लेकिन कालेज उसे जाति वैधता प्रमाणपत्र के अभाव में उसकी मार्कशीट व डिग्री सर्टिफिकेट नहीं दे रहा है। याचिका पर बेंच के सामने सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सहायक सरकारी वकील ने कहा कि छात्र की जाति से जुड़ी एक जानकारी हमने नागपुर की कमेटी से मंगाई है जो अब तक नहीं आयी। बेंच ने कहा कि ऐसा ही जवाब सरकारी वकील ने पहले भी दिया था।
नाखुश बेंच ने कहा कि सरकार से अपेक्षा है कि यदि उसने जाति प्रमाणपत्र से जुड़ा कानून बनाया है तो वह कमेटी को जरुरी सुविधाएं व संसाधन भी प्रदान करे। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने कालेज को निर्देश दिया कि वह छात्र को उसकी मार्कशीट,लीविंग व डिग्री सर्टिफिकेट इस शर्त पर प्रदान करे कि जाति वैधता प्रमाणपत्र मिलने के बाद वह कालेज में पेश करेगा।
चूंकि छात्र ने आरक्षित सीट पर प्रवेश लिया था इसलिए कालेज ने छात्र को रियायती दर पर शिक्षा उपलब्ध कराई है। इसलिए छात्र कालेज में सामान्य श्रेणी के छात्र की फीस कालेज भरे। बाद में जब छात्र को जाति वैधता प्रमाणपत्र मिल जाएगा तो वह अपनी फीस वापस मांग लेगा। यह कहते हुए बेंच ने याचिका को समाप्त कर दिया।
Created On :   21 July 2018 5:23 PM IST