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गौचर टाइप-1 से जूझ रहा युवक, सालाना लगते हैं 2 करोड़- हाईकोर्ट ने कहा सरकार कराए इलाज

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सालाना 2 करोड़ रुपए बीमारी में खर्च करना आम आदमी के लिए नामुमकिन है । बाॅम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे यवतमाल जिले के पत्तिपुरा निवासी चैतन्य अवथरे (26) को चिकित्सा खर्च की प्रतिपूर्ति 6 सप्ताह के भीतर अदा करने के आदेश केंद्र सरकार को दिए हैं। आदेश के साथ ही कोर्ट ने मामले का निपटारा कर दिया है। दरअसल याचिकाकर्ता "गौचर टाइप-1" बीमारी से पीड़ित है। अनियमित शारीरिक वृद्धि और कमजोर करने वाली इस बीमारी के इलाज के लिए 19 लाख रुपए प्रतिमाह और सालाना 2 करोड़ रुपए की जरूरत है। चैतन्य के पिता प्रकाश अवथरे बीएसएनएल में टेलीफोन मैकेनिक के पद पर कार्यरत हैं, जो इतने महंगे इलाज का खर्च नहीं उठा सकते। इस मामले में बीती सुनवाई में नागपुर खंडपीठ ने केंद्र सरकार को आदेश दिए हैं कि वे "दुर्लभ बीमारी के लिए राष्ट्रीय नीति" योजना के तहत चैतन्य के इलाज का जिम्मा उठाए। याचिकाकर्ता की ओर से एड. श्याम मोहता ने पक्ष रखा।
यह था मामला : दरअसल केंद्र सरकार द्वारा देश में "दुर्लभ बीमारी के लिए राष्ट्रीय नीति" के तहत गरीबी रेखा के नीचे वाले तबके का नि:शुल्क इलाज किया जाता है, लेकिन चैतन्य के पिता गरीबी रेखा से ऊपर की श्रेणी में आते हैं। इसलिए उन्हें मदद की कोई आस नहीं है। उधर, पिता ने जब बीएसएनएल कर्मचारी कल्याण फंड से मदद मांगी, तो विभाग ने यह कह कर मदद से इनकार कर दिया है कि यह फंड केवल कर्मचारियों के लिए उपयोग किया जा सकता है, न कि कर्मचारियों के परिजनों के लिए। मदद के सारे रास्ते बंद होते देख, चैतन्य ने हाईकोर्ट की शरण ली। चैतन्य ने दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति के तहत अपना इलाज कराने की कोर्ट से प्रार्थना की थी। इस मामले में सभी परिस्थितियों को देखते हुए कोर्ट ने चैतन्य का इलाज शुरू करने के आदेश केंद्र को दिए थे।
Created On :   9 Jan 2018 2:47 PM IST