जुआ खेलने वाले स्थान पर खड़े होने पर दर्ज एफआईआर रद्द

HC quashes FIR lodged for standing at gambling spot
जुआ खेलने वाले स्थान पर खड़े होने पर दर्ज एफआईआर रद्द
हाईकोर्ट जुआ खेलने वाले स्थान पर खड़े होने पर दर्ज एफआईआर रद्द

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज उस एफआईआर को रद्द कर दिया है जो सिर्फ इसलिए दर्ज की गई थी क्योंकि वह शख्स उस स्थान पर मौजूद था जहां ताश के पत्तों से जुआ खेला जा रहा था। हाईकोर्ट ने कहा कि मामले से जुड़े तथ्य दर्शाते हैं कि आरोपी को ताश के पत्ते खेलते हुए नहीं पाया गया है।इसके अलावा पुलिस ने मामले को लेकर  आरोपी के खिलाफ 11 साल बाद आरोपपत्र दायर किया है।  इसलिए आरोपी अरुण संखे के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाता है। दरअसल पुलिस ने 8 जुलाई 2012 को मुंबई के ओशिवरा इलाके में स्थित एवरसाइन ग्रीन सोसायटी की 14 वीं मंजिल पर छापेमारी की थी। इस दौरान पुलिस ने वहां पर जुआ खलने वालों के अलावा वहां पर मौजूद कुल 19 लोगों को गिरफ्तार किया था। जिसमें से एक याचिकाकर्ता भी शामिल था। छापेमारी के बाद ओशिवरा पुलिस ने मामले को लेकर आरोपियों के खिलाफ जुआ रोकथाम अधिनियम 1977 की धारा 4 व 5 के तहत एफआईआर दर्ज की थी। जिसे रद्द करने की मांग को लेकर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे व न्यायमूर्ति पीके चव्हाण की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि जिस फ्लैट में जुआ खेला जा रहा था, आरोपी उस फ्लैट का मालिक नहीं था। इसके अलावा आरोपी सिर्फ वहां पर मौजूद था और वह ताश भी नहीं खेल रहा था। सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने कहा कि इस मामले में मेरे मुवक्किल के खिलाफ जुआ रोकथाम अधिनियम की धारा 4 व 5 के तहत कोई मामला ही नहीं बनता है। इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है। लिहाजा मेरे मुवक्किल के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि पुलिस ने साल 2012 की घटना को लेकर जनवरी 2023 में आरोपपत्र दायर किया है। इस मामले में काफी विलंब से आरोपपत्र दायर किया गया है। आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 468 के प्रावधानों के तहत इतने विलंब से दायर किए गए आरोपपत्र का मजिस्ट्रेट संज्ञान भी नहीं ले सकते हैं। सरकारी वकील ने खंडपीठ के सामने कहा कि मामले में आरोपी के खिलाफ ताश के पत्ते खेलने का आरोप नहीं है। इस तरह खंडपीठ ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने व प्रकरण से संबंधित तथ्यों पर गौर करने के बाद आरोपी के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया। 

Created On :   20 Jan 2023 9:11 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story