दूसरे के घर पर कब्जा करने वाले को अग्रिम जमानत देने से हाईकोर्ट का इंकार

Hc refuses to grant anticipatory bail to occupier of second house
दूसरे के घर पर कब्जा करने वाले को अग्रिम जमानत देने से हाईकोर्ट का इंकार
दूसरे के घर पर कब्जा करने वाले को अग्रिम जमानत देने से हाईकोर्ट का इंकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। किसी के घर की दीवार तोड़कर व कमरे का सामना फेककर घर पर कब्जा करने का कृत्य न सिर्फ अराजकता को दर्शाता है बल्कि कानून की ताकत को नीचा दिखाता है। बांबे हाईकोर्ट ने एक आरोपी की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है। आरोपी पर एक महिला के घर की दीवार तोड़कर घर के भीतर रखा सामना फेक उस पर जबरन कब्जा करने का आरोप है। आरोपी अख्तर अली चौधरी की इस हरकत को लेकर पीड़ित महिला ने मुब्रा पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। मामले में गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर चौधरी ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दायर की थी। अवकाशकालीन न्यायमूर्ति एनजे जमादार के सामने मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान आरोपी के वकील ने कहा कि पैसे के विवाद को लेकर मेरे मुवक्किल के बहन के कहने पर शिकायत दर्ज कराई गई है। मेरे मुवक्किल ने जबरन घर में कब्जा नहीं किया है। 

इसके अलावा मेरे मुवक्किल की उम्र 62 साल है। ऐसे में उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरुरत नहीं है। वहीं सरकारी वकील जयेश याज्ञनिक ने कहा कि इस मामले में आरोपी का कृत्य काफी गंभीर है, क्योंकि मकान पहले से उसके कब्जे में नहीं था। उसने बंद घर की दीवार तोड़कर घर के भीतर के रखे समान को बाहर निकाल कब्जा किया है। यह पहला मौका नहीं है जब आरोपी ने जमानत के लिए अर्जी दायर की है। इससे पहले भी आरोपी की ओर से जमानत अर्जी दायर की गई थी लेकिन अदालत ने जब आरोपी को राहत न देने का संकेत दिया तो उसने जमानत अर्जी वापस ले ली थी। मामले से जुड़े सबूतों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने पाया कि शिकायतकर्ता का घर पर 1998 से कब्जा था। इस लिहाज से आरोपी का कृत्य न सिर्फ अराजकता को दर्शाता बल्कि कानून की ताकत को भी नीचा दिखता है। इसलिए आरोपी की जमानत अर्जी को खारिज किया जाता है।

Created On :   28 May 2019 6:56 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story