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पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से 23 साल बाद हुआ बरी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने और दहेज मांगने के आरोप में दोषी आरोपी को करीब 23 साल बाद बरी किया है। हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा है। इसलिए उसे बरी किया जाता है। मामला बोरीवली इलाके में रहने वाले समीर जोशी से जुड़ा है। जिसे निचली अदालत ने पत्नी ज्योति को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में पांच साल की कारावास की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के आदेश के खिलाफ जोशी ने हाईकोर्ट में अपील की थी। न्यायमूर्ति संदीप शिंदे के सामने जोशी की अपील पर सुनवाई हुई।
पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने का था आरोप
मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी पर पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने और क्रूरता बरतने के आरोप को साबित करने में नाकाम रहा है। इसलिए आरोपी को इस मामले से बरी किया जाता है। अभियोजन पक्ष के मुताबिक मामले से जुड़े दंपती का विवाद 1990 में हुआ था। शादी के बाद उन्हें दो बच्चे हुए थे। इस बीच आरोपी ने अपना कारोबार शुरु करने के लिए पत्नी के घर वालों से दस हजार रुपए की मांग की थी।
पत्नी ने सातवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या की थी
जब ससुरालवालों ने पैसे देने से इंकार कर दिया तो पति अपनी पत्नी को परेशान करने लगा। जिसके चलते ज्योति ने 16 जुलाई 1994 को इमारत की सातवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। अभियोजन पक्ष की ओर से दी गई इस जानकारी पर गौर करने के बाद कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि ज्योंति ने आरोपी की यातना से तंग आकर आत्महत्या की है। इसके साथ ही मामले से जुड़े गवाहों के बयान में भी काफी अस्पष्टता है। इसलिए हम आरोपी को इस प्रकरण से बरी करते है।
Created On :   11 Dec 2017 1:59 PM GMT