नाराज हाईकोर्ट ने कहा- मुकदमा लड़ते वक्त सरकारी वकीलों में समर्पण की कमी

HC said - government lawyers are showing lack of dedication
नाराज हाईकोर्ट ने कहा- मुकदमा लड़ते वक्त सरकारी वकीलों में समर्पण की कमी
नाराज हाईकोर्ट ने कहा- मुकदमा लड़ते वक्त सरकारी वकीलों में समर्पण की कमी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बीते कुछ दिनों से नागपुर बेंच में सरकारी वकीलों की कार्यप्रणाली से नाराज हाईकोर्ट ने सोमवार को फिर सरकारी वकीलों को जम कर फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि बड़े दु:ख के साथ कोर्ट को कहना पड़ रहा है कि यहां के सरकारी वकीलों में पूरा सामर्थ्य है, लेकिन उनमें मुकदमा लड़ने के लिए जो समर्पण और इच्छा शक्ति होनी चाहिए, उसकी कमी है। कर अदा करने वाली जनता को यह जानने का अधिकार है कि नागपुर बेंच में वर्क लोड को देखते हुए वाकई यहां 57 सरकारी वकीलों की फौज की जरूरत है भी या नहीं।

दरअसल बीती सुनवाई मंे हाईकोर्ट ने अपने निरीक्षण में पाया था कि आैरंगाबाद बेंच में ज्यादा मुकदमे होने के बावजूद सिर्फ 47 सरकारी वकील हैं, जबकि नागपुर बेंच में मुकदमों की संख्या कम होने के बावजूद 57 सरकारी वकील कार्यरत हैं। हाईकोर्ट ने  दोनों बेंचों में सरकारी वकीलों की नियुक्ति किन मापमंडों के तहत होती है, इसकी जानकारी सरकार से मांगी थी। सोमवार को मुख्य सरकारी वकील ने उत्तर प्रस्तुत करने के लिए हाईकोर्ट से अतिरिक्त समय मांगा। कोर्ट ने उन्हें 6 अप्रैल तक उत्तर प्रस्तुत करने को कहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई में अगर सरकार उत्तर देने से चूकी, तो विधि व न्याय विभाग के प्रधान सचिव को  व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होना होगा। 

सरकारी वकीलों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर 
बता दें कि बीते दिनों नागपुर बेंच ने अपने यहां कार्यरत सरकारी वकीलों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर की थी। कई बार विविध मामलों में पैरवी के लिए पूरी तैयारी के साथ न पहुंचने वाले सरकारी वकीलों को फटकार लगाई थी। दरअसल हाल ही में पुसद के बालाजी किन्हाले द्वारा दायर फौजदारी याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हो रही थी। सुनवाई में सरकार की ओर से पैरवी कर रहे सरकारी वकील ने कोर्ट के सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कोर्ट ने विधि व न्याय विभाग से सरकारी वकीलों की मूल्यांकन रिपोर्ट मांगी थी।

कोर्ट ने उनसे पूछा था कि सरकार अगली सुनवाई तक नए सरकारी वकीलों की नियुक्तियां रोकेगी या पुराने सरकारी वकीलों के कांट्रैक्ट का नवीनीकरण करेगी? इस प्रकरण में वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील मनोहर को न्यायालयीन मित्र नियुक्त किया गया है। कोर्ट ने मनोहर को सरकारी वकीलों की मूल्यांकन रिपोर्ट का अध्ययन करने के आदेश दिए हैं।

Created On :   27 March 2018 6:01 PM IST

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