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HC ने कहा- देह व्यवसाय में धकेली गई किशोरी पीड़ित किशोरी का पुनर्वास करे सरकार
डिजिटल डेस्क, नागपुर। हालात और मजबूरीवश देह-व्यवसाय में आने वाली युवतियों और महिलाओं की व्यथा अक्सर सुनी जाती है, लेकिन शहर के रेड लाइट एरिया से ऐसी लड़की छापे में मिली जो नाबालिग थी और उसका सौदा करने वाले कोई और नहीं बल्कि उसके माता-पिता ही हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने देह व्यवसाय में जबरन धकेली गई एक किशोरी की मदद करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि, मनोदरी योजना के तहत सरकार किशोरी को आर्थिक मदद करे और उसका पुनर्वास करे। सत्र न्यायालय ने किशोरी की कस्टडी उसके पिता को सौंपने का जो आदेश दिया था, उस पर 25 जून को हाईकोर्ट ने जो स्टे दिया था, उसे कोर्ट ने बरकरार रखा है।
गंगा-जमुना में छापे में मिली थी नाबालिग
पीड़िता को कई वर्ष पहले उसके परिजनों ने बेच दिया था। इसी मानव तस्करी के जाल में फंस कर वह नागपुर के गंगा-जमुना क्षेत्र में पहुंच गई। कुछ वर्ष पूर्व पुलिस और सामाजिक संस्था ने मिलकर यहां छापा मारा। छापे में अन्य लड़कियों के साथ पीड़िता भी पकड़ी गई। इसके बाद उसे अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
परिजनों ने ही किया सौदा
पहली बार मां की अर्जी पर उसे कोर्ट ने छोड़ दिया। कुछ दिन बाद गंगा-जमुना क्षेत्र में दोबारा छापा मारा गया, तो पीड़िता फिर वहीं से पकड़ी गई। इस बार पीड़िता के पिता की अर्जी के बावजूद कोर्ट ने उसे नहीं छोड़ा। अब मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। याचिका हाईकोर्ट में लंबित थी, तब ही पिता की याचिका पर फैसला देते हुए निचली अदालत ने किशोरी की कस्टडी पिता को सौंप दी थी। राज्य सरकार ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
दरअसल इसी मामले में एक फौजदारी जनहित याचिका हाईकोर्ट में लंबित है। याचिकाकर्ता फ्रीडम फर्म के अनुसार पीड़िता नाबालिग है। उसके परिजन उसे बालिग साबित करके उसकी कस्टडी हासिल करने में लगे हैं। मामले में हाईकोर्ट में सरकार की ओर से सरकारी वकील मेहरोज पठान ने पक्ष रखा।
Created On :   3 July 2018 7:13 AM GMT