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एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस ने क्लेम रिजेक्ट किया
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बीमा कंपनियां पॉलिसी बेचने के लिए सभी शर्तों में हामी भर देती हैं। लेकिन अगर किसी के साथ कोई हादसा या घटना घटित हो जाए और कंपनी को क्लेम देने की बारी आए, तो कंपनी क्लेम रिजेक्ट कर देती हैं। बीमा धारक पॉलिसी इसलिए लेते हैं कि मुसीबत के समय काम आए। अगर प्रीमियम भरने के बाद भी हॉस्पिटल का बिल अपनी ही जेब से भरना है, तो व्यक्ति पॉलिसी लेगा ही क्यों। कंपनी अपने हिसाब से नियम बदलती रहती है। हर कोई व्यक्ति पूरी पॉलिसी नहीं पढ़ता है, न ही किसी की समझ में आता है। कंपनी या एजेंट की तरफ से पॉलिसी संबंधी सभी बातें ग्राहकों को स्पष्ट की जानी चाहिए।
अनुपम (परिवर्तित नाम) ने बताया कि एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस से कैशलेस पॉलिसी सितंबर 2021 में मेडिक्लेम पॉलिसी अंतर्गत ली थी। जून 2022 को तबीयत अचानक खराब हो गई। डॉक्टर ने बताया कि पेट में इंफेक्शन बहुत ज्यादा है, इसलिए एडमिट होना पड़ेगा। हॉस्पिटल का बिल लगभग 80 हजार रुपए बना। कैशलेस पॉलिसी ली थी, लेकिन इलाज का पैसा जेब से भरा। कंपनी ने री-एम्बर्स के लिए कहा था। हॉस्पिटल के पूरे पेपर्स बीमा कंपनी में जमा किए और क्लेम के लिए अप्रोच किया। फिर कंपनी की ओर से क्लेम रिजेक्शन का मेल आया। उनका कहना था कि दो वर्ष का वेटिंग पीरियड है, जबकि पॉलिसी देते वक्त कंपनी के एजेंट ने ऐसा कुछ भी बताया था। एजेंट का कहना था कि पॉलिसी लेने के दूसरे दिन से क्लेम किया जा सकता है। पॉलिसी भी पूरी देखी, लेकिन कहीं पर भी दो वर्ष के वेटिंग पीरियड की बात स्पष्ट नहीं लिखी है। पाॅलिसी के पेपर में कहीं भी स्पष्ट नहीं लिखा है कि दो साल का वेटिंग पीरियड है।
उचित मंच तक बात- इस नंबर पर बीमा से संबंधित समस्याएं बताएं
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है, तो आप दैनिक भास्कर नागपुर के मोबाइल नंबर 9422165556 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी समस्या रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में आपकी आवाज को भास्कर द्वारा खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।
Created On :   7 Aug 2022 6:19 PM IST