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मराठा आरक्षण पर हाईकोर्ट में पूरी हुई सुनवाई, छुटि्टयों के बाद आ सकता है फैसला
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार द्वारा मराठा समुदाय को शिक्षा व नौकरी में दिए गए 16 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर बांबे हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। कोर्ट का फैसला अदालत की छुटि्टयों के बाद आ सकता है। बीते 6 फरवरी 2019 से हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं पर रोजाना सुनवाई शुरु की थी। इस विषय पर महानगर निवासी संजीत शुक्ला व जयश्री पाटील सहित अन्य लोगों ने याचिकाएं दायर की थी। याचिकाओं में मराठा समुदाय को दिए गए आरक्षण को मनमानीपूर्ण व असंवैधानिक बताया गया था। याचिका में दावा किया गया था सरकार की ओर से मराठा समुदाय को दिया गया 16 प्रतिशत आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आरक्षण का दायर 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। लेकिन मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने से आरक्षण का दायर 68 प्रतिशत पहुंच गया है। आरक्षण को लागू करने के लिए राज्य सरकार ने राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं ली है। इसलिए राज्य सरकार के आरक्षण प्रदान करने का निर्णय अवैध है। इसलिए इसे रद्द कर दिया जाए।
आरक्षण के खिलाफ दायर हुई थी कई याचिकाएं
न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप संचेती ने दावा किया कि आयोग ने मराठा समुदाय के आकड़ों का ठीक से विश्लेषण नहीं किया है। इसलिए आयोग की रिपोर्ट पर मराठा समुदाय को आरक्षण देना उचित नहीं है। सिर्फ अतिवंचित लोगों को ही अपवादजनक स्थिति में आरक्षण प्रदान करने का निर्णय हो सकता है। इस लिहाजा से राज्य सरकार का आरक्षण से जुड़ा निर्णय संविधान के खिलाफ है। वहीं राज्य सरकार की ओर से पैरवी करने वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, वीए थोरात व अनिल साखरे ने दावा किया कि सरकार के पास आरक्षण देने का अधिकार है। विधायिका ने नियमों के तहत आरक्षण का फैसला किया है। सिर्फ आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण का फैसला नहीं किया गया है। सभी पहलुओं पर भी गौर करने के बाद आरक्षण का निर्णय किया गया है। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
Created On :   26 March 2019 8:08 PM IST