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देशमुख के खिलाफ दर्ज एफआईआर का मामले की सुनवाई टली, जानिए - क्या है कारण
डिजिटल डेस्क, मुंबई। सीबीआई ने बॉम्बे हाईकोर्ट को आश्वस्त किया है कि वह नौ जून 2021 तक महाराष्ट्र सरकार को भेजे गए उस पत्र को लेकर कोई कार्रवाई नहीं करेगी। जिसमें सीबीआई ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला द्वारा राज्य के पुलिस विभाग में ट्रांसफर व पोस्टिंग में भ्रष्टाचार होने के दावे से जुड़े दस्तावेज मांगे हैं। बुधवार को सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने हाईकोर्ट को उपरोक्त आश्वासन दिया है।
हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। राज्य सरकार ने यह याचिका राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को लेकर दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि सीबीआई को पुलिस विभाग के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े मामले की जांच करने से रोका जाए। इसके अलावा सीबीआई को बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाझे कि पहले हुई सेवा बहाली से जुड़े पहलू की भी जांच करने से रोका जाए। याचिका में दावा किया गया है कि सीबीआई ने यह एफआईआर राज्य सरकार को अस्थिर करने के इरादे से की है। सीबीआई हाईकोर्ट के आदेश के बाद 21 अप्रैल 2021 को देशमुख के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
बुधवार को यह याचिका अवकाशकालीन न्यायमूर्ति एस जे काथावाला व न्यायमूर्ति एसपी तावड़े की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका पर उसी खंडपीठ के सामने सुनवाई होनी चाहिए जिसने 5 अप्रैल 2021 को सीबीआई को देशमुख के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। इस पर न्यायमूर्ति काथावाला की खंडपीठ ने कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है । यदि मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई करती है। क्योंकि मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने ही मामले को लेकर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। लेकिन सीबीआई तब तक राज्य सरकार से वे दस्तावेज व जानकारी न मांगे जिसको लेकर उसने महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिखा है।
इस पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजू ने कहा कि वे पूरी जांच पर रोक नहीं लगाएगे लेकिन नौ जून तक दस्तावेज नहीं मांगेंगे। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई को 8 जून तक के लिए स्थगित कर दिया। पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रफीक दादा ने कहा था कि सीबीआई हाई कोर्ट के 5 अप्रैल 2021 के आदेश के विपरीत इस मामले की जांच कर रही है। सीबीआई ट्रांसफर व पोस्टिंग से जुड़े दस्तावेज मांगने की आड़ में पूरे राज्य प्रशासन की जांच करना चाहती है। जो कि उचित नहीं है। यह राज्य प्रशासन के मनोबल को प्रभावित करेगा।
Created On :   26 May 2021 5:26 PM IST