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पुणे से नागपुर लाया गया हार्ट, मजदूरी करने वाले युवक का किया हार्ट ट्रांसप्लांट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेडिकल हब के नाम से मशहूर संतरानगरी में विदर्भ का पहला हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया। मजदूरी कर अपना जीवनयापन करने वाले 28 वर्षीय युवक को पुणे में ब्रेनडेड मरीज से मिला हार्ट लगा कर नया जीवनदान दिया गया। शुक्रवार को दोपहर 12.30 बजे एयरपोर्ट से ग्रीन कॉरिडोर से हार्ट को लकड़गंज स्थित एक निजी हॉस्पिटल में ट्रांसप्लांट कर शहर के लिए नया कीर्तिमान स्थापित किया गया।
32वें जन्मदिन पर अंगदान किया
पुणे में 30 मई को गणेश चव्हाण काे ब्रेन स्ट्रोक के कारण पुणे के केईएम हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। 6 जून को डॉक्टरों ने मरीज को ब्रेन डेड घोषित कर दिया। परामर्श के बाद परिजनों ने मरीज के 32वें जन्मदिन पर अंगदान करने का निर्णय लिया। इस पर रिजनल ऑर्गन एडं टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (आरओटीटीओ) ने हार्ट नागपुर को अलॉट किया। दोपहर में इंडिगो के विमान से हार्ट नागपुर लाया गया और लकड़गंज स्थित न्यू ईरा हाॅस्पिटल में ट्रांसप्लांट शुरू किया गया। करीब 5 घंटे के ऑपरेशन के बाद कार्डियो वैस्कुलर एंड थोरासिस सर्जन डॉ. आनंद संचेती, डॉ. मनोज दुराईराज, डॉ. शांतनू शास्त्री, डॉ. प्रशांत धूमल, डॉ. साहिल बंसल और डॉॅ. सविता जयस्वाल ने हार्ट ट्रांसप्लांट में मुख्य भूमिका निभाई। जबकि कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. निधीश मिश्रा और न्यूरो सर्जन डॉ. नीलेश अग्रवाल का समन्वय रहा।
13 किमी की दूरी 10 मिनट में तय की
विमानतल से अस्पताल तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। दोपहर 12.30 बजे एंबुलेंस हार्ट लेकर विमानतल से निकली और मात्र 10 मिनट में 12.40 पर लकड़गंज हॉस्पिटल तक 13 किमी की दूरी पूरी कर ली। 5 गाड़ियों ने ग्रीन कॉरिडोर से यातायात को खाली कराया। एंबुलेंस के आगे 1 पायलट गाड़ी निकली, एक एंबुलेंस में हार्ट रखा गया व एक एंबुलेंस और साथ में निकली। उसके पीछे 2 और गाड़ियां थीं। ग्रीन कॉरिडोर का मोर्चा यातायात पुलिस उपायुक्त गजानन राजमाने के नेतृत्व में 3 पुलिस निरीक्षक और 2 सहायक पुलिस निरीक्षक व 101 पुलिसकर्मियों ने संभाला।
150 किमी की पैदल यात्रा से बीमार
जानकारी के अनुसार बैतूल जिले के बोखिया निवासी भूपेंद्र सावरकर (28) गांव से 150 किलोमीटर दूर खंडला जाने वाली धूनी वाले दादा की पदयात्रा में वर्ष 2018 में गया था। बीच यात्रा के दौरान युवक को दर्द हुआ, लेकिन उसने अपनी यात्रा पूरी की। बीमारी की हालत में घर पहुंचा और उपचार के लिए परतवाड़ा, अमरावती और भोपाल गया। यहां डॉक्टरों ने बताया कि हार्ट पूरी तरह काम नहीं कर रहा है और उपचार नहीं होने की बात कहकर नागपुर के लकड़गंज स्थित हॉस्पिटल में भेज दिया।
बीमारी से काम भी छूटा
एक ओर बीमारी का खर्च, दूसरी ओर 5वीं तक पढ़ाई होने के कारण ठेकेदार के यहां मजदूरी का काम भी छूट गया। ऐसे में रिश्तेदारों और गांव के लोगों ने उपचार के लिए चंदा जमा किया। इससे प्राथमिक उपचार किया गया, तभी डॉक्टरों को पता चला कि विदर्भ को हार्ट अलॉट किया गया है। चूंकि विदर्भ को पहला हार्ट ट्रांसप्लांट करने का मौका मिला, तो डॉक्टरों ने भी आर्थिक मदद कर हार्ट ट्रांसप्लांट किया।
Created On :   8 Jun 2019 2:18 PM IST