आस्था के सामने व्यवस्था लाचार, पर्यावरण को बचाने जनजागरण जरूरी -चटर्जी

Helpless in front of faith, public awareness necessary to save the environment
आस्था के सामने व्यवस्था लाचार, पर्यावरण को बचाने जनजागरण जरूरी -चटर्जी
आस्था के सामने व्यवस्था लाचार, पर्यावरण को बचाने जनजागरण जरूरी -चटर्जी

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  विकास एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। सभ्यता के विकास के लिए यह जरूरी है, इसको रोका नहीं जा सकता। विकास का ऐसा माॅडल अपनाने पर जरूर विचार किया जा सकता है, जो शाश्वत हो। हमारी पर्यावरण संरक्षण की चिंता इससे बहुत हद तक दूर हो सकती है। यह बात ग्रीन विजिल फाउंडेशन के संस्थापक पर्यावरणविद् कौस्तव चटर्जी ने कही। वे लोहिया अध्ययन केन्द्र  ‘संवाद’ उपक्रम अंतर्गत आयोजित "पर्यावरण संरक्षण : सामाजिक दायित्व" विषयक परिचर्चा में बोल रहे थे। नागपुर महानगर पालिका के प्रयासों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विगत  कुछ वर्ष से नगर में इसके लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं, जिसके अपेक्षित परिणाम नहीं आ रहे हैं क्योंकि जन-जागरूकता की कमी है। दूसरी बड़ी वजह यह है कि हमारे समाज में आस्था के सामने व्यवस्था लाचार हो जाती है।

प्रत्येक नागरिक का दायित्व है
विषय का प्रस्ताव रखते हुए उपक्रम के संयोजक  राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. मनोज पाण्डेय ने  कहा कि पर्यावरण संरक्षण हर नागरिक का दायित्व है। हमने यदि इस दिशा में सही कदम नहीं उठाया, तो आने वाला वक्त हमें माफ नहीं करेगा। परिचर्चा के दूसरे प्रमुख वक्ता महाराष्ट्र पुलिस प्रशिक्षण अकादमी के उप-प्राचार्य पांडुरंग सोनवणे ने  कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए कम से कम यह समझ प्रत्येक नागरिक की होनी चाहिए कि वह अपने जीवन में एक पेड़ अवश्य लगाएं। संचालन डॉ. पाण्डेय ने तथा आभार प्रदर्शन कमल किशोर गुप्ता ने किया। इस अवसर पर केंद्र के महासचिव हरीश अड्यालकर, कोषाध्यक्ष न्या. संजय बुरडकर, डॉ ओमप्रकाश मिश्रा, विष्णुदेव यादव, सुरभि जायसवाल, एस. बुटोलिया, डॉ. अनिल त्रिपाठी,  डॉ. राजेंद्र पटोरिया आदि उपस्थित थे। 


 

Created On :   29 Jan 2020 2:23 PM IST

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