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यहां पूजे जाते हैं रावणपुत्र मेघनाद, आज मनाई जा रही होली

डिजिटल डेस्क छिन्दवाड़ा/परासिया। जब पूरे देश में होली मनाई जाती है तब यहां रंग को हांथ तक नहीं लगाते यह सिलसिला रंग पंचमी तक चलता है और छठवे दिन होली मनाई जाती है । इन पांच दिन तक यहां मेला चलता है जिसमें मेघनाद की पूजा की जाती है । आज छठवें दिन यहां रंगोत्सव मनाया जाएगा । रावणपुत्र मेघनाद आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में आस्था का केंद्र है। होली पर्व से जिले के 50 से अधिक गांवों में मेघनाद मेले का आयोजन किया जाता है। उमरेठ के मेले की जिले में अपनी अलग पहचान है। यहां पंचमी तक लगने वाले मेले में जिले भर से लोग आते हैं। उमरेठ का मेघनाथ मेला सैकड़ों वर्षों से आस्था और विश्वास का संगम हैं। आज भी इस मेले में लोगों की आस्था उतनी ही बलवती है जितने सैकड़ों साल पहले थी। पांच दिन चलने वाले इस मेले में हर दिन सैलाब उमड़ता है। लोग परंपराओं का निर्वहन करते हुए मेले का आंनद लेते हैं। कोयलांचल से लगे ग्राम उमरेठ में होली दहन के दिन प्रसिद्ध मेघनाथ मेले का शुभारंभ किया जाता है। ग्राम देवता के रूप में मौजूद खंडेरा के पास लगने वाले इस मेले में खंडेरा बाबा का ही महत्व है। इस खंडेरा से लाखों लोगों की अस्था जुड़ी हुई है। मेले के दौरान खंडेरा की पूजा होती है और लोग मन्नत भी मांगते हैं। खंडेरा की सीढिय़ा चढ़कर लोग मुख्य खंभे के शीर्ष पर लगी लकड़ी में रस्से के सहारे हवा में झूलते हैं। खंडेरा की परिक्रमा कर लोग अपनी समस्याओं को दूर करने की दुआ मांगते हैं।
मेघनाद का प्रतीक है खंडेरा
मेेले का केंद्र रहने वाले खंडेरा को मेघनाद का प्रतीक माना जाता है। पांच दिनों तक लोग मेघनाद बाबा की पूजा अर्चना करते हैं।
आज मनाई जाएगी धुरेंडी
पूरे देश में मुख्य रूप से धुरेंडी और पंचमी के दिन रंग होली मनाई जाती है लेकिन उमरेठ और उसके आस पास के क्षेत्रों में अब तक धुरेंडी नही मनाई गई है। यहां पर धुरेंडी छठमी के दिन मनाई जाती है। पांच दिवसीय मेले का समापन पंचमी को हो जाता है। इसके बाद छठमी को ग्रामीण रंग होली खेलकर धुरेंडी का त्योहार मनाते हैं। इसी परंपरा के चलते उमरेठ क्षेत्र में बुधवार को धुरेंडी मनाई जाएगी।

Created On :   7 March 2018 1:04 PM IST