रतन टाटा का खिलाफ मानहानि मुकदमा हुआ रद्द, जमनालाल बजाज संस्थान पर फैसला सुरक्षित

High Court cancelled defamation suit against Ratan Tata
रतन टाटा का खिलाफ मानहानि मुकदमा हुआ रद्द, जमनालाल बजाज संस्थान पर फैसला सुरक्षित
रतन टाटा का खिलाफ मानहानि मुकदमा हुआ रद्द, जमनालाल बजाज संस्थान पर फैसला सुरक्षित

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कारोबारी रतन टाटा व टाटा सन्स कंपनी के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन तथा आठ अन्य लोगों के खिलाफ निचली अदालत में प्रलंबित मानहानि से जुड़ी सुनवाई को रद्द कर दिया है। कारोबारी नुस्ली वाडिया ने टाटा व अन्य के खिलाफ मैजिस्ट्रेट कोर्ट में मानहानि से जुड़ी शिकायत की थी। शिकायत में दावा किया गया था कि अक्टूबर 2016 में टाटा व अन्य लोगों ने उनके खिलाफ मानहानिपूर्ण बयान दिए थे।  जिसे खारिज किए जाने की मांग को लेकर टाटा व अन्य लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने टाटा व अन्य लोगों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान टाटा की ओर से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया था कि कारोबारी विवाद के चलते वाडिया ने मैजिस्ट्रेट कोर्ट में मानहानि से जुड़ी शिकायत की है। क्योंकि वाडिया टाटा के पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री से समर्थक माने जाते हैं। मानहानि से जुडी शिकायत कोर्ट में दायर करने से पहले विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया है। वाडिया टाटा की तीन कंपनियों इंडियन होटल कंपनी, टाटा मोटर्स व टाटा स्टील के स्वतंत्र निदेशक थे। जिन्हें बाद में इस पद से हटा दिया गया था। 

जमनालाल बजाज संस्थान को स्वयत्ता न मिलने के पीछे राजनीतिक हित

दूसरे शैक्षणिक संस्थान को समय पर स्वायत्ता मिल गई जबकि जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट को स्वायत्ता मिलने में देरी हुई। जमनालाल बजाज संस्थान को स्वायत्ता मिलने में देरी के पीछे दुर्भाग्यवश राजनीतिक हित जुड़े होने की बात दिख रही है। यह बात कहते हुए बांबे हाईकोर्ट ने संस्थान की प्रवेश प्रक्रिया पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट की 70 प्रतिशत सीटे मुंबई विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए रखी गई है। जबकि सिर्फ 15 प्रतिशत सीटे राज्य के दूसरे विश्वविद्यालय से पढाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए आरक्षित हैं। जिसके खिलाफ छात्रों ने अधिवक्ता एसबी तलेकर के मार्फत हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि जमनालाल बजाज संस्थान की स्वायत्ता से जुड़ा प्रस्ताव मुंबई विश्वविद्यालय की प्रबंधन परीषद के पास प्रलंबित था। उच्च शिक्षा विभाग भी इस मामले को देख रहा था। इसलिए संभवत: जमनालाल बजाज संस्थान को स्वायत्ता नहीं मिल पायी है। वहीं अधिवक्ता तलेकर ने कहा कि जमनालाल बजाज संस्थान के साथ जिन निजी शैक्षणिक संस्थानों की स्वायत्ता का प्रस्ताव भेजा गया था उन सभी संस्थानों को स्वायत्ता मिल गई है। फिर जमनलाला बजाज के मामले में देरी क्यों हुई? इस मामले में राजनीतिक हित का मामला दिख रहा है। इस पर खंडपीठ ने भी माना कि इस मामले के पीछे राजनीति जुड़ी हुई है। 

दुष्कर्म का मामला रद्द कराने हाईकोर्ट पहुंचे कोडियेरी

केरल के सीपीआई (माओवादी) नेता बालकृष्णन के बेटे बिनॉय कोडियेरी ने खुद के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म के मामले को रद्द करने की मांग को लेकर बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। एक बार डांसर ने कोडियेरी पर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। पीड़िता ने दावा किया है कि कोडियेरी के साथ बनाए संबंधो से उसे एक आठ साल बेटा भी है। पीड़िता की शिकायत के आधार पर पुलिस ने कोडियेरी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376,420 व 506 के तहत मामला दर्ज किया गया है। निचली अदालत ने पिछले दिनों इस मामले में कोडियेरी को अग्रिम जमानत प्रदान की थी।  अब कोडियेरी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले को रद्द करने की मांग की है। याचिका में कोडियेरी ने दावा किया है कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया है। न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने अगामी 24 जुलाई को इस याचिका पर सुनवाई अपेक्षित है। 

 

 

Created On :   22 July 2019 2:42 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story