हाईकोर्ट : कोस्टल रोड प्रोजेक्ट पर फैसला सुरक्षित, भगवा झंडा लहराना आपराध नहीं

High Court: decision reserved on coastal road project of Mumbai
हाईकोर्ट : कोस्टल रोड प्रोजेक्ट पर फैसला सुरक्षित, भगवा झंडा लहराना आपराध नहीं
हाईकोर्ट : कोस्टल रोड प्रोजेक्ट पर फैसला सुरक्षित, भगवा झंडा लहराना आपराध नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मुंबई महानगरपालिका के 14 हजार करोड़ रुपए के प्रस्तावित कोस्टल रोड प्रोजेक्ट को चुनौती देनेवाली कई  याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। इस प्रोजेक्ट के जरिए दक्षिण मुंबई के मरिन ड्राइव इलाके को बोरीवली से जोड़ा जाएगा। याचिकाओं में दावा किया गया है कि इस प्रोजेक्ट से समुद्री जीवों व पर्यावरण पर विपरीत असर पड़ेगा। इसके साथ ही मछुआरों की जीविका भी प्रभावित होगी। हालांकि मुंबई मनपा व राज्य सरकार ने दावा किया कि प्रोजेक्ट का कार्य नियमों के तहत किया जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एन एम जामदार की खंडपीठ ने 17 जून से इस मामले की सुनवाई शुरु की थी। अप्रैल महीने में हाईकोर्ट ने मुंबई मनपा को निर्देश दिया था कि वह इस प्रोजेक्ट को लेकर आगे कार्य न करे। इसके बाद मनपा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने मनपा को राहत प्रदान की थी और मौजूदा कार्य को पूरा करने की इजाजत दी थी पर नया कार्य करने से रोक दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुरु हुई थी। सोमवार को खंडपीठ ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया। 

भगवा झंडा फहराना व नारे लगाना एट्रासिटी कानून के तहत अपराध नहीं-हाईकोर्ट

भगवा झंडा लहराना व नारे लगाना एट्रासिटी कानून के तहत अपराध नहीं है। बांबे हाईकोर्ट ने जाति उत्पीड़न ( एट्रासिटी) के मामले में एक आरोपी अग्रिम जमानत प्रदान करते हुए यह बात स्पष्ट की है। आरोपी राहुल महाजन के खिलाफ कल्याण पुलिस ने भीमा-कोरेगांव हिंसा के दौरान विरोध भगवा झंडा फहराने को लेकर कल्याण पुलिस ने 3 जनवरी 2018 को  एट्रासिटी कानून के तहत मामला दर्ज किया था। पुलिस ने महाजन पर विरोध प्रदर्शन के दौरान जय भवानी ,जय  महादेव व जय शिवाराया के नारे लगाने का भी आरोप लगाया था। महाजन ने इस मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए पिछले साल पहले कल्याण कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन दायर किया था। लेकिन कल्याण कोर्ट ने महाजन को जमानत देने से इंकार कर दिया था। लिहाजा उसने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दायर की थी। न्यायमूर्ति इंद्रजीत महंती व न्यायमूर्ति एएम बदर की खंडपीठ के सामने महानजन की जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि महाजन के खिलाफ पुलिस ने शेड्यूल्ड कास्ट एंड शेड्यूल्ड ट्राइब प्रिवेंशन आफ एट्रासिटी कानून के तहत जो एफआईअार दर्ज की है उसके तहत महाजन के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं बनता है। इसके साथ ही  इस मामले में महाजन की कोई आपराधिक भूमिका भी नजर नहीं आ रही है। खंडपीठ ने कहा कि महाजन के खिलाफ भगडवा झंडा फहराने व नारे लगाने के लिए आपराधिर मामला दर्ज किया गया है। लेकिन हमारे मतानुसार व एट्रासिटी कानून के तहत भगवा झंडा फहराना व नारे लगाना अपराध नहीं है। चूंकी आरोपी के खिलाफ एट्रासिटी कानून के तहत मामला दर्ज है इसलिए उसे जमानत नहीं दी जा सकती हम इस बात को नहीं स्वीकार कर सकते है। यह कहते हुए खंडपीठ ने आरोपी को अग्रिम जमानत प्रदान करते हुए उसे गिरफ्तारी से राहत प्रदान की। 

Created On :   1 July 2019 4:15 PM GMT

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