- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- हाईकोर्ट ने 6 ग्राम पंचायत सदस्यों...
हाईकोर्ट ने 6 ग्राम पंचायत सदस्यों को दी राहत, देरी से चुनाव खर्च ब्यौरा जमा करने के कारण हुए थे अपात्र

डिजिटल डेस्क, मुंबई। तकनीकी कारणों से चुने हुए प्रत्याशी को अपात्र ठहराने से न सिर्फ प्रत्याशी का नुकसान होता है बल्कि उसे चुनने वाले मतदाताओं की भी हानि होती है। बांबे हाईकोर्ट ने सांगली के घनवाद ग्राम पंचायत के 6 सदस्यों को चुनाव खर्च का व ब्यौरा देरी से जमा करने के कारण जिलाधिकारी द्वारा अपात्र ठहराने के आदेश को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया है।
सदस्यों ने दायर की याचिका
सांगली जिलाधिकारी के इस आदेश के खिलाफ अपात्र सदस्यों ने अधिवक्ता उमेश मनकापुरे के मार्फत हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस भूषण गवई व जस्टिस पीडी नाइक की बेंच के सामने याचिका पर सुुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील उमेश मनकापुरे ने कहा कि नियमानुसार चुनाव के खर्च का ब्यौरा 30 दिन में जमा किया जाना चाहिए लेकिन मेरे मुवक्किल ने यह ब्यौरा 72 दिन में जमा किया है। सिर्फ इस तकनीकी आधार पर सांगली के जिलाधिकारी ने मेरे मुवक्किलों को अपात्र ठहराने का आदेश जारी किया है। अदालत ने अपने कई फैसलों में स्पष्ट किया है कि तकनीकी आधार पर प्रत्याशी को अपात्र ठहराने के निर्णय को उचित नहीं माना जा सकता है।
इस दौरान चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि ग्राम पंचायत कानून के प्रावधानों के तहत याचिकाकर्ता के पास विभागीय आयुक्त के पास अपनी बात रखने का विकल्प है। इसलिए उन्हें विभागीय आयुक्त के पास अपनी बात रखने के लिए कहा जाए। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने पाया कि संबंधित इलाके के विभागीय आयुक्त का पद रिक्त है। वैसे भी अब सभी उम्मीदवारों ने अपने खर्च का ब्यौरा जमा कर दिया है। बेंच ने कहा कि चुने हुए प्रत्याशी को बेहद तकनीकी कारणों से अपात्र ठहराने से न सिर्फ प्रत्याशी का नुकसान होता है बल्कि उसे चुननेवाले मतदाता की भी क्षति होती है। यह कहते हुए बेंच ने प्रत्याशियों को अपात्र ठहरानेवाले कलेक्टर के आदेश को रद्द कर दिया।
Created On :   28 April 2018 5:56 PM IST