वीडियकॉन समूह के चेयरमैन वेणु गोपाल धूत को दी अंतरिम जमानत

High court grants interim bail to Videocon group chairman Venu Gopal Dhoot
वीडियकॉन समूह के चेयरमैन वेणु गोपाल धूत को दी अंतरिम जमानत
हाईकोर्ट वीडियकॉन समूह के चेयरमैन वेणु गोपाल धूत को दी अंतरिम जमानत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को वीडियोकॉन कर्ज आवंटन में गड़बड़ी से जुड़े मामले में  आरोपी वीडियोकॉन समूह के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत को अंतरिम जमानत दी है। इसके साथ ही साफ किया है कि धूत की गिरफ्तारी को लेकर सीबीआई ने जिन कारणों का उल्लेख किया है  वे बेहद सामान्य व आधारहीन है। इस तरह से हाईकोर्ट ने सीबीआई को कड़ा झटका दिया है। यह दूसरा मौका है जब इस मामले में हाईकोर्ट में सीबीआई की किरकरी हुई है। इससे पहले हाईकोर्ट ने मामले में आरोपी आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर व उनके पति दीपक कोचर की गिरफ्तारी को लेकर सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई थी। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे व न्यायमूर्ति पीके चव्हाण की खंडपीठ ने पिछले सप्ताह धूत की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। जिसे खंडपीठ ने शुक्रवार को सुनाते हुए मामले में आरोपी धूत को अंतरिम जमानत प्रदान कर दी। खंडपीठ ने  अपने 48 पन्नों के फैसले में कहा कि कोई जांच अधिकारी किसी आरोपी को अपनी सनक व कल्पना के अनुसार गिरफ्तार नहीं कर सकता है। खंडपीठ ने अपने आदेश में इस मामले को लेकर सीबीआई की विशेष अदालत को भी फटकार लगाई है। खंडपीठ ने कहा कि विशेष अदालत ने प्रकरण को लेकर सीबीआई की ओर से आरोपी के हिरासत को लेकर दिए गए आवेदन व केस डायरी का परीक्षण करने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया है। खंडपीठ ने कहा कि सीबीआई ने पहले से सोच समझकर मामले की जांच में आरोपी धूत के जांच में असहयोग के लेकर मनगढंत कहानी गढी थी। मामले से जुड़े सबूत व दस्तावेज इसका खुलासा करते है। मामले की जांच से जुड़ी सामग्री आरोपी धूत की प्रमाणिकता व जांच में सहयोग करने की तत्परता को दर्शाती है। खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा है कि हर मामले में गिरफ्तारी जरुरी नहीं है। मौजूदा मामले में सीबीआई ने आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर जिन कारणों का उल्लेख किया है वे बेहद सामान्य व आधारहीन है। आरोपी की गिरफ्तारी तभी होनी चाहिए जब उसकी गिरफ्तारी बेहद जरुरी हो। इस मामले में गिरफ्तारी से पहले आरोपी को 41ए के तहत नोटिस भी नहीं दिया गया है।

खंडपीठ ने कहा कि गिरफ्तारी से जुड़े मेमों में सिर्फ यह लिखना की आरोपी लगातार अपने बयान बदल रहा है,जांच में सहयोग नहीं कर  रहा है और वह सही तथ्यों का खुलासा नहीं कर रहा है। यह गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है। सीबीआई ने धूत को इस मामले में 26 दिसंबर 2022 को गिरफ्तार किया था। धूत फिलहाल न्यायिक हिरासत में है और उनके वकील संदीप लड्डा धूत की जेल से रिहाई से जुड़ी औपचारिकता को पूरा करने में लगे हुए है। खंडपीठ ने धूत को एक लाख रुपए के मुचलके पर जमानत प्रदान की है। इसके साथ ही खंडपीठ ने धूत को मामले की जांच में सहयोग करने व सबूत के साथ छेड़छान न करने के अलावा अपना पासपोर्ट भी सीबीआई के पास जमा करने को कहा है। खंडपीठ कहा कि हम धूत की मामले से जुड़ी हुई एफआईआर को रद्द करने की मांग पर 6 फरवरी 2023 को सुनवाई करेंगे। धूत ने अपनी याचिका में खुद की गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। खंडपीठ ने इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग करनेवाले दो आवेदनों को खारिज कर दिया है और वकीलों पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। 

क्या हैं मामला 

इस मामले में आरोप है कि चंदा कोचर ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए साल 2012 में वीडियोकॉन समूह को 3250 करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्ज दे दिए जिसके बदले वीडियोकान समूह के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने चंदा के पति दीपक कोचर की कंपनियों नुपावर रिन्यूवल, सुप्रीम एनर्जी में 64 करोड़ रुपए का निवेश किया। आरोप है कि फर्जी तरीके से कर्ज मंजूर करने के बदले यह रकम इस तरीके से घूस के तौर पर दी गई। वीडियोकॉन समूह लिया गया कर्ज वापस नही कर पाया और उसे एनपीए घोषित कर दिया गया। चंदा ने 2018 में आईसीआईसीआई बैंक के सीईओ का पद छोड़ा था। 2019 में सीबीआई ने आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी। 
 

Created On :   20 Jan 2023 3:03 PM GMT

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