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खूंखर बाघिन को मारेंगे गोली, वन विभाग के फैसले को हाईकोर्ट ने रखा बरकरार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बाघिन "टी-27 कब-1" को गोली मारने के विवाद पर गुरुवार को नागपुर खंडपीठ ने फैसला सुनाया। वन विभाग के फैसले को हाईकोर्ट ने कायम रखा है। विभाग ने हाईकोर्ट में दलील दी थी कि बाघिन आदमखोर बन चुकी है। कुछ महीनों में उसने 9 बार इंसानों पर हमले किए, जिनमें 4 की मौत हो चुकी है। वन विभाग के अधिवक्ता कार्तिक शुकुल की दलील थी कि बाघिन के हमलों को देखते हुए लगता है कि वो ना सिर्फ इंसानों पर हमले कर रही है। बल्कि उनका शिकार कर भूख मिटा रही है। ऐसे में हाईकोर्ट ने वन विभाग के फैसले को कायम रखा है।
बाघिन का बोर अभ्यारण्य की ओर रुख
खूखार बाघिन टी-एफ-5 ने बोर अभ्यारण्य की ओर रुख किया है। वन विभाग और वन्य जीव संरक्षण विभाग के अधिकारियों ने अपनी कमर कस रखी है। हालांकि इलाके के गांवों में दहशत का माहौल है। कावड़ी मेट, पुसागोंदी, खापा, धोतीवाड़ा के किसान घरों में घुसे हैं। टी-एफ-5 पर नकेल की तैयारी में जुटा विभाग हर संभव प्रयास कर रहा है।
चकमा दे रही बाघिन
गुरुवार सुबह बाघिन कावड़ीमेट से खापा होते हुए बोर की ओर बढ़ रही थी, तब 9:30 बजे निशानेबाज वसीम जमशेद और डॉ. चेतन पोतोडे ने उसे ट्रेग्यूलाइजेशन करने की कोशिश की, लेकिन निशाना सही जगह नहीं लगने से बाघिन जंगल में भाग निकली। हालांकि हाथी "जंगबहादुर और हथनी दामिनी की मदद से उसकी घेराबंदी का प्रयास किया गया, लेकिन बाघिन चकमा देकर दोपहर 3 बजे के दौरान बोर अभ्यारण्य की ओर निकल गई।
सर्वोच्च न्यायालय जाने की तैयारी
उधर, याचिकाकर्ता जैरील बनाइत ने बाघिन को गोली ना मारने अपील की थी। हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट तुषार मंडलेकर और रोहन मालवीय ने पक्ष रखा, लेकिन गुरुवार को हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब बाघिन को बचाने के लिए याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायलय जाने का मूड बनाया है।
Created On :   13 Oct 2017 7:49 AM IST