हेरफेर के मामले में पूर्व सांसद सहित पुलिस अायुक्त को नोटिस 

high court issued notice to former mp vijay darda
हेरफेर के मामले में पूर्व सांसद सहित पुलिस अायुक्त को नोटिस 
हेरफेर के मामले में पूर्व सांसद सहित पुलिस अायुक्त को नोटिस 

डिजिटल डेस्क,नागपुर। भूखंड के हेरफेर में घिरे पूर्व सांसद विजय दर्डा सहित बुटीबोरी ग्राम पंचायत व पुलिस आयुक्त को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में पूर्व सांसद विजय दर्डा और उनकी कंपनी लोकमत न्यूज पेपर प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता पंकज ठाकरे ने दर्डा और कंपनी से जुड़े आला पदाधिकारियों पर भू-खंड के हेर-फेर का आरोप लगाया है। मामले में  हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने राज्य उद्योग निदेशालय, एमआईडीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और नागपुर एरिया मैनेजर, मेसर्स लोकमत न्यूज पेपर प्राइवेट लिमिटेड, विजय जवाहरलाल दर्डा, मीडिया वर्ल्ड इंटरप्राइजेस की पार्टनर रचना दर्डा और शीतल जैन, जैन सहेली मंडल, नियोजित लोकमत कर्मचारी गृहनिर्माण सहकारी संस्था, बुटीबोरी ग्रामपंचायत और पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से एड.श्रीरंग भंडारकर ने पक्ष रखा।
यह है मामला : याचिका में लगाए गए आरोपों के अनुसार- 
राज्यसभा सांसद रहते विजय दर्डा ने पद का दुरुपयोग करके राज्य सरकार से बुटीबोरी क्षेत्र मंे कई भू-खंड प्राप्त किए। 26 फरवरी 2001 को 40 हजार वर्ग मीटर का प्लॉट नंबर बी-192 लोकमत न्यूजपेपर प्राइवेट लिमिटेड नाम से प्राप्त किया। बाद मंे 12 अक्टूबर 2001 को इसे लोकमत मीडिया लिमिटेड के नाम पर हस्तांतरित कर दिया। याचिकाकर्ता के अनुसार, दर्डा ने यह जमीन इंडस्ट्रियल रेट से काफी कम मूल्य में हासिल की, जबकि उनसे व्यावसायिक दरों से जमीन की कीमत वसूल की जानी चाहिए थी। और नियमों के अनुसार किसी भी जमीन को हस्तांतरित करने के लिए वहां 50 प्रतिशत निर्माणकार्य होना जरूरी होता है, जो इस भू-खंड पर है ही नहीं। 

28 मार्च 2001 को 6 हजार 790 वर्ग मीटर का प्लॉट नंबर बी-207 और 1800 वर्ग मीटर का प्लॉट नंबर बी-208 लोकमत न्यूजपेपर प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर प्राप्त किया। याचिका में दावा किया गया है कि यह जमीन वीणा इंफोसिस नामक कंपनी को मिलने वाली थी। दर्डा की विनती पर यह जमीन उन्हें दी गई। 

7 अप्रैल 2004 को दर्डा ने एमआईडीसी को 16 हजार वर्ग मीटर  के प्लॉट नंबर बी-192 के लिए  फिर एक बार अर्जी दी। साथ ही तत्कालीन उद्योग मंत्री पतंगराव कदम को आवेदन करके यह भू-खंड व्यावसायिक दरों की जगह इंडस्ट्रियल दरों से प्राप्त किया। याचिकाकर्ता का दावा है कि इससे सरकार को 33 लाख 60 हजार रुपए का नुकसान हुआ। 

याचिकाकर्ता के अनुसार 4 हजार वर्ग मीटर के प्लॉट पी-160 पर मूक-बधिर आश्रम शाला बनाने के लिए जैन सहेली मंडल की ओर से ज्योत्सना दर्डा ने अर्जी दायर की, और उन्हें आश्रमशाला बनाने के लिए 1 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से भू-खंड दिया गया।  इसके बाद उन्होंने जगह का उपयोग बदलने के लिए अर्जी दायर की। अब उस जगह पर ज्योत्सना दर्डा मेमोरियल डेवलपमेंट सेंटर का निर्माण किया गया है। 

नियोजित लोकमत कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी संस्था ने मौजा किमर्ती  में 16 हजार वर्ग मीटर का प्लॉट नंबर पीएल-6 और 51 हजार 750 वर्ग मीटर का प्लॉट नंबर आरएच -18 अपने 200 कर्मचारियों के मकान बनाने के लिए खरीदा। यह भू-खंड इस शर्त पर संस्था को दिया गया कि उसके कर्मचारियों के पास रहने के लिए नागपुर में और कहीं भी घर नहीं है। उन्होंने ऐसा शपथपत्र भी दिया। मगर याचिकाकर्ता का दावा है कि संस्था ने अपने 25 सगे संबंधियों को अवैध रूप से यहां घर दिए हैं, जिनके खुद के नागपुर शहर में अन्य निवास स्थान भी हैं। 

यह है कोर्ट से  प्रार्थना- याचिकाकर्ता ने इस मामले में दर्डा और उनसे जुड़ी कंपनियों से आज के सरकारी दरों के िहसाब से शुल्क और जुर्माना वसूल करने के आदेश जारी करने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की है। साथ ही भू-खंड आवंटन की हेर-फेर की जांच करने की भी मांग की है। मामले में प्रतिवादी चार सप्ताह बाद जवाब प्रस्तुत करेंगे।

Created On :   30 Nov 2017 2:13 PM IST

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