राजस्व मंत्री पाटील को भूखंड नियमितीकरण मामले में नोटिस 

high court issued notice to the revenue minister Patil
राजस्व मंत्री पाटील को भूखंड नियमितीकरण मामले में नोटिस 
राजस्व मंत्री पाटील को भूखंड नियमितीकरण मामले में नोटिस 

डिजिटल डेस्क,नागपुर। भूखंड नियमतीकरण मामले में राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटील की मुश्किलें बढ़ गई है। नागपुर स्थित गड्डीगोदाम के खसरा नंबर 110/1, 110/3, 111/2 और 111/3 की भूमि प्लाटधारकों के लिए नियमित करने के मामले में उन्हें नोटिस जारी हुआ है। पाटील ने बीते जुलाई में गोपालकृष्ण देवस्थान की विवादित लीज की जमीन को प्लॉटधारकों के लिए नियमित करने के आदेश जारी किए थे। इस पर अब हाईकोर्ट में सरोजनी नायडू समेत अन्य दो लोगों ने पाटील समेत अन्य प्रतिवादियों के खिलाफ याचिका दायर की है। इस प्रकरण में  याचिकाकर्ता का पक्ष सुन कर हाईकोर्ट ने राजस्व मंत्री पाटील, राजस्व विभाग, नागपुर विभागीय आयुक्त, जिलाधिकारी समेत मनपा और नासुप्र से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्रीरंग भंडारकर और रवींद्र पांडे ने पक्ष रखा।

 

यह है मामला: 

कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार सी.पी.बेरार के गवर्नर ने 1916 में श्री गोपाल कृष्ष्ण देवस्थान के विश्वस्त के.जी. बुटी, जी.जी. बुटी और पी.जी. बुटी को गड्डीगोदाम की खसरा नंबर 110/1, 110/3, 111/2 और 111/3 की 62 हजार 73 वर्ग फीट जमीन लीज पर दी। याचिकाकर्ता के अनुसार 31 जनवरी 1986 में इंदिराबाई बुटी, रामचंद्र बुटी और मकरंद बुटी ने अन्य विश्वस्तों से एनओसी प्राप्त करके लीज की अवधि बढ़ाने के दस्तावेजों में अपना नाम भी जुड़वा दिया। इसके बाद देवस्थान के विश्वस्तों ने बगैर प्रशासनिक अनुमति के 44 हजार 814 वर्ग फीट जमीन को प्लॉट के रूप में विकसित करके 29 लोगों को बेच दिया। लोगों ने यहां अपने घर और अन्य निर्माणकार्य कर लिए।

राजस्व मंत्री ने मंजूर की अपील

याचिकाकर्ता ने जिलाधिकारी और नागपुर तहसीलदार से इसकी शिकायत की। मामले में तमाम प्रशासनिक जांच के बाद 1998 में जिलाधिकारी ने लीज रद्द करने की सिफारिश करके जरूरी कार्रवाई के लिए प्रदेश राजस्व व वन मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा। विभाग से अनुमति के बाद विभागीय आयुक्त ने जिलाधिकारी को जरूरी कार्रवाई करने की अनुमति दी। तमाम पड़ताल के बाद 28 फरवरी 2005 को जिलाधिकारी ने लीज रद्द करके नजूल अधिकारियों को जब्ती के आदेश दिए। जिलाधिकारी के निर्णय को प्लॉटधारकों ने विभागीय आयुक्त के पास चुनौती दी, जिसे विभागीय आयुक्त ने रद्द कर दिया। इसके बाद प्लॉटधारकों ने विभागीय आयुक्त के फैसले को राजस्व मंत्री के पास चुनौती दी, जिस पर सुनवाई करके राजस्व मंत्री ने प्लॉटधारकों की अपील मंजूर कर ली है।

Created On :   31 Oct 2017 4:22 PM IST

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