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हाई कोर्ट का आदेश, जाति वैधता पड़ताल समिति की बढ़ी मुसीबत
डिजिटल डेस्क, नागपुर. एक जीआरपी पुलिस हवलदार अरविंद शाहा (41, बल्लारपुर, जि.चंद्रपुर) के जाति वैधता प्रमाण-पत्र से जुड़े दस्तावेजों में हेर-फेर करने वाली चंद्रपुर की जाति वैधता पड़ताल समिति मुसीबत में आ गई है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने हवलदार की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह हेर-फेर पकड़ ली और मामले में नागपुर विभागीय आयुक्त को तथ्य शोधन समिति गठित करके 6 सप्ताह के भीतर ये पता करने का आदेश दिया कि दस्तावेजों से छेड़-छाड़ करने वाला अधिकारी कौन है? इसके बाद कोर्ट ने विभागीय आयुक्त को कानूनी कार्रवाई करने का भी आदेश जारी किया। हाल ही में मुख्य न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्या.नितीन सांबरे की खंडपीठ ने यह आदेश जारी किया है। दरअसल याचिकाकर्ता ने चंद्रपुर की जाति वैधता पड़ताल समिति के पास तेली (ओबीसी) जाति वैधता प्रमाण-पत्र के लिए अावेदन किया। 23 अक्टूबर 2020 को समिति ने उनका यह दावा खारिज कर दिया। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली।
4 माह का समय
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील नारायण फडणीस ने दलील दी कि समिति ने जिस पुलिस सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर याचिकाकर्ता का दावा खारिज किया, उसकी प्रति याचिकाकर्ता को कभी सौंपी ही नहीं गई। इसके उलट सरकारी वकील ने हाईकोर्ट में दावा किया कि याचिकाकर्ता को रिपोर्ट पहले ही सौंपी दी गई थी। उन्होंने याचिकाकर्ता द्वारा हस्ताक्षर किया गया दस्तावेज भी हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया। बाद में खुलासा हुआ कि इस दस्तावेज से छेड़छाड़ की गई है, जिसके बाद हाईकोर्ट ने उक्त आदेश जारी किया। साथ ही पड़ताल समिति को 4 माह में याचिकाकर्ता को जाति वैधता प्रमाण-पत्र देने का आदेश जारी किया।
Created On :   15 Sept 2022 6:25 PM IST