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हाईकोर्ट ने दिवंगत स्टैन स्वामी की तारीफ करते कहा - बेहद अच्छे इंसान थे
![High Court praised the late Stan Swamy and said - he was a very good person High Court praised the late Stan Swamy and said - he was a very good person](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/2021/07/high-court-praised-the-late-stan-swamy-and-said-he-was-a-very-good-person_730X365.jpg)
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि भीमा कोरेगांव के एल्गार परिषद मामले में आरोपी स्टैन स्वामी बेहद अच्छे इंसान थे। न्यायालय उनके कार्यों का बहुत सम्मान करता है। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एन जे जमादार की खंडपीठ ने यह बात स्वामी की अपील पर सुनवाई के दौरान कही। 84 वर्षीय स्वामी की पांच जुलाई 2021 को एक निजी अस्पताल में मौत हो गई थी। खंडपीठ ने कहा कि आम तौर पर हमारे पास समय नहीं होता है, लेकिन हमने स्वामी का अंतिम संस्कार देखा है। जो बेहद ही शालीन तरीके से किया गया। स्वामी बेहद अच्छे व्यक्ति थे। समाज के प्रति उनकी ओर से किए गए कार्यों का हम सम्मान करते हैं। कानूनी तौर पर उनके खिलाफ क्या है। वह पूरी तरह से एक अलग मामला है। स्वामी की पिछले दिनों महानगर के होली फैमली अस्पताल में हार्टअटैक से मौत हो गई थी। स्वामी की जब मौत हुई तो वह न्यायिक हिरासत में थे और उनका जमानत आवेदन सुनवाई के लिए प्रलंबित था।
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने स्वामी की मौत के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) व न्यायपालिका की हुई आलोचना का भी जिक्र किया। खंडपीठ ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि अनेकों मामलों में समय से मुकदमे की शुरुआत न होने के चलते विचाराधीन कैदी जेलों में सड़ते रहते हैं। जबकि तेजी से सुनवाई पाना आरोपी का मौलिक अधिकार है। खंडपीठ ने कहा कि हमने स्वामी की सेहत ठीक न होने के आधार पर मांगी गई जमानत आवेदन पर सुनवाई के दौरान पूरी तर निष्पक्ष रुख अपनाया था। खंडपीठ ने कहा कि स्वामी ने 28 मई 2021 को सेहत ठीक न होने के आधार पर जमानत मांगी थी और निजी अस्पताल में भर्ती करने का आग्रह किया था। जिसे कोर्ट ने तत्काल स्वीकार किया।
खंडपीठ ने स्वामी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मिहीर देसाई से कहा कि बाहर जाकर हम कुछ नहीं कह सकते हैं। हमें प्रतीत होता है कि उच्च न्यायालय को लेकर आपको कोई शिकायत नहीं है। खंडपीठ ने कहा कि इस बात को किसी ने कहा कि कड़े विरोध के बावजूद हाईकोर्ट ने एल्गार परिषद मामले में आरोपी वरवरा राव को जमानत प्रदान की थी। प्रकरण के दूसरे आरोपी हैनी बाबू को उपचार के लिए उनके पसंद के अस्पताल में भर्ती होने की इजाजत प्रदान की। हमने यह कभी नहीं सोचा था कि स्वामी की हिरासत के दौरान मौत हो जाएगी। हमारे मन में क्या था अब इसको बताने का कोई अर्थ नहीं है। क्योंकि हम स्वामी की जमानत याचिका पर फैसला नहीं सुना सके। आदिवासी इलाकों में काम करनेवाले 84 वर्षीय स्वामी को अक्टूबर 2020 में एनआईए ने रांची से गिरफ्तार किया था।
खंडपीठ की बातों को सुनने के बाद देसाई ने कहा कि स्वामी के मामले को लेकर कोर्ट की विभिन्न खंडपीठों द्वारा जारी किए गए आदेशों से वे खुश थे, लेकिन अब स्वामी के सहयोगी को स्वामी की मौत की हो रही मैजिस्ट्रेट जांच में शामिल होने दिया जाए। एनआईए के वकील संदेश पाटील ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि स्वामी की मौत को लेकर ऐसा प्रदर्शित किया गया, जैसे इसके लिए एनआईए जिम्मेदार है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट के बाहर कौन क्या बोलता है। इस पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता है। खंडपीठ ने अधिवक्ता पाटील को कहा कि वे बताए कि इस मामले में कितने गवाह हैं और मुकदमे की सुनवाई में कितना वक्त लगेगा। खंडपीठ ने अब इस मामले की सुनवाई 23 जुलाई 2021 को रखी है।
Created On :   19 July 2021 12:20 PM GMT