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पदोन्नती में आरक्षण रद्द करने वाले शासनादेश पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इंकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने फिलहाल राज्य सरकार के उस शासनादेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों के पदोन्नति में 33 प्रतिशत आरक्षण को रद्द किया गया है। कोर्ट ने साफ किया है कि यदि इस शासनादेश के तहत किसी को पदोन्नति दी जाती है तो वह अदालत के अंतिम फैसले के अधीन होगी। कोर्ट ने इस मामले में सरकार से जवाब भी मांगा है।हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से 7 मई 2021 को जारी शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। इस शासनादेश के तहत जो पद पहले अनुसूचित जाति व जनजाति (एससी-एसटी), नोमेडिक ट्राइब(एनटी),विशेष पिछड़ा वर्ग (एसबीसी)के लिए आरक्षित थे। उनके आरक्षण को अब खत्म कर दिया है।
शासनादेश के तहत प्रमोशन में आरक्षण की बजाय प्रमोशन के लिए वरिष्ठता को प्रधानता दी जाएगी। इस दौरान एक आवेदनकर्ता की ओर से पैरवी कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से 7 मई को जारी किया गया शासनादेश आरक्षित वर्ग के लोगों के अधिकारों का हनन करता है।उन्होंने कहा कि जिस 33 प्रतिशत आरक्षण को एक झटके में खत्म किया गया है, वह 1974 से है। देश में महाराष्ट्र इकलौता राज्य है जहां एससी व एसटी के पदोन्नति में आरक्षण को खत्म किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य उन पदों को शीघ्रता से भरने का है जो पद आरक्षित वर्ग के लिए हैं। सरकार ने इस शासनादेश को जारी करने को लेकर न तो कोई सफाई दी है और न ही कोई कारण बताया है। यह शासनादेश सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विपरीत है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस तरह के एक मामले में हलफनामा दायर कर कहा है कि सरकार आरक्षित पद से आरक्षित पद पर पदोन्नति को जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि आखिर अचानक क्या बदल गया जो इस तरह का शासनादेश लाया गया है यह समझ से परे है। यह शासनादेश मनमानी पूर्ण नजर आ रहा है।
इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता से पूछा कि क्या सरकार इस शासनादेश के तहत पदोन्नति प्रदान करेगी। जिसका सरकारी वकील ने सकारात्मक उत्तर दिया। इस पर अधिवक्ता सिंह ने कहा कि सरकार ने शासनादेश से पहले ही तैयारी कर ली थी। इसलिए शासनादेश पर रोक लगाई जाए। इस पर खंडपीठ ने कहा कि इस मामले पर विस्तार से सुनवाई की जरुरत है। इसलिए सरकार याचिका पर अपना जवाब दे। यदि इस शासनादेश के तहत किसी को पदोन्नति दी जाती है तो यह कोर्ट के फैसले के अधीन होगी।
विरोध में कांग्रेस की ऑनलाइन बैठक
पदोन्नती में आरक्षण पर रोक लगाने वाले शासनादेश के खिलाफ मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्य के ऊर्जामंत्री नितिन राऊत ने ऑनलाइन बैठक की। पार्टी ने दावा किया कि इसमें 400 लोगों ने हिस्सा लिया। राऊत ने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। हमारी मांग है कि सुप्रीम कोर्ट के अधीन रहते प्रमोशन दिया जाए। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने इस पर कोई रोक नहीं लगाई है पर राज्य सरकार ने पदोन्नती में आरक्षण पर रोक लगाने के लिए शासनादेश जारी किया है। सरकार का यह शासनादेश असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि बगैर मंत्रिमंडल को विश्वास में लिए यह शासनादेश जारी किया गया है।
Created On :   25 May 2021 8:02 PM IST